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१८ - असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तिण्णि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । असंखिज्ज - वासाउयसन्नि पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता | असंखिज्जवासाउयसन्निगब्भवक्कंतिय- मणुस्साणं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता । असुरकुमार देवों की स्थिति तीन पल्योपम, असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम तथा असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम कही गई है।
The duration of the Asur Kumar (fiendish) god has been said of three Palyopama. Innumerable Varshpusk sangi Panchendriya animal beings have maximum age of three Palyopama and innumerable Varshpusk sangi Garbhokrantic human beings have the maximum life span of three Palyopama.
१९ - सणकुमार - माहिंदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं तिण्णि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । जे देवा आभंकरं-पभंकरं आभंकर - पभंकरं चंदं चंदावत्तं चंदप्पभं चंदकंतं चंदवण्णं चंदलेसं चंदज्झयं चंदसिंगं चंदसिद्धं चंदकूडं चंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं तिणि सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता, ते णं देवा तिहं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा, तेसिं णं देवाणं तिहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ ।
संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे तिहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति, बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ।
सनत्कुमार-माहेन्द्रकल्पों के देव तीन सागरोपम वाली स्थिति के कहे गए हैं। आभंकर, प्रभंकर, आभंकर-प्रभंकर, चन्द्र, चन्द्रावर्त, चन्द्रप्रभ, चन्द्रकान्त, चन्द्रवर्ण, चन्द्रलेश्य, चन्द्रध्वज, चन्द्रभृंग, चन्द्रसृष्ट, चन्द्रकूट और चन्द्रोत्तरावतंसक नामक विशिष्ट विमानों के देवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन सागरोपम कही गई है। ये देव तीन अर्धमासों यानी पैंतालीस दिनों के अन्तराल में आन-प्राण अर्थात् उच्छ्वास - नि:श्वास की प्रक्रिया अपनाते हैं। ये देव तीन हजार वर्ष के उपरान्त आहार की इच्छा रखते हैं।
कितने ही भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं जो तीन भव ग्रहण करने के उपरान्त सिद्ध, बुद्ध, कर्मों से मुक्त होंगे और परमनिर्वाण को प्राप्त करेंगे। ऐसे भव्यसिद्धिक जीव समस्त प्रकार के दुःखों का शमन ( अन्त) करेंगे।
The celestial beings of the Sanat Kumar & Mahendra Kalpa have been said of the three Sagropama life span. The maximum duration of life of the gods of Abhyankar, Prabhyankar, Abhyankar-Prabhyankar, Chandra, Chandravrat, Chandraprabh, Chandrakant, Chandravarn, Chandraleshya, Chandradhvaj, Chandrasring, Chandrasrist, Chandrakoot, Chandravartansk celestial vehicles is said to be of three Sagropama. These above mentioned celestial beings adopt the process of inhaling and exhaling after passing the duration of 45 days. These gods show their desire to take food once after three thousand years.
तीसरा समवाय
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编卐
Samvayang Sutra
编写纸与纸
出版
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