Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 312
________________ ४६८ - सोमणस - गंधमादण-विज्जुप्पभ-मालवंताणं वक्खारपव्वयाणं मंदरपव्वयंतेणं पंच पंच जोयणसयाइं उड्डुं उच्चत्तेणं, पंच पंच गाउयसयाइं उव्वेहेणं पण्णत्ता । सव्वे विणं वक्खारपव्वयकूडा हरि - हरिस्सहकूडवज्जा पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ता । सव्वे वि णं णंदणकूडा बलकूडवज्जा पंच पंच जोयणसयाइं उड्डुं उच्चत्तेणं, मूले पंच पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ता । सौमनस, गन्धमादन, विद्युत्प्रभ और मालवन्त ये चारों वक्षार पर्वत, मन्दर पर्वत के समीप पाँचपाँच सौ योजन ऊँचे और पाँच-पाँच सौ गव्यूति उद्वेध वाले कहे गए हैं। हरि और हरिस्सह कूट को छोड़कर शेष समस्त वक्षार पर्वत कूट पाँच-पाँच सौ योजन ऊँचे हैं तथा मूल में वे पाँच-पाँच सौ योजन आयाम-विष्कम्भ वाले कहे गए हैं। बलकूट को छोड़कर समस्त नन्दन वनों के कूटों की ऊँचाई पाँच-पाँच सौ योजन है तथा मूल में वे पाँच-पाँच सौ योजन आयाम - विष्कम्भ वाले कहे गए हैं। The four Vakshar Mountains namely Soumanas-Gandharmadan, Vidyutprabh, Malvant situated nearer to Mountain Mandar have been said of five hundred yojanas each high and rooted deep into the earth equal to five hundred gavyuti (Indian scale). Barring Hari and Harissah Kut all the other Vakshar Kuts are five hundred yojanas high and at the root their expansion has been said equal to five hundred yojanas each. Barring the Bal Kut the heights of other all the Kuts of Nandan forests are five hundred yojanas each and at the root these have been said of the expansion of five hundred yojanas. ४६९ - सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणा पंच पंच जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । सौधर्म और ईशान – इन दोनों कल्पों में समस्त विमानों की ऊँचाई पाँच-पाँच सौ योजन कही गई है। In both the Kalps namely Soudharma and Ishan all the celestial vehicles have the height of five hundred yojanas each. ४७०-सणंकुमार-माहिंदेसु कप्पेसु विमाणा छजोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । चुल्लहिमवंतकूडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स समधरणितले स णं छजोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । एवं सिहरीकूडस्स वि । सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्पों में विमान छह सौ योजन ऊँचे कहे गए हैं। क्षुल्लक हिमवन्तकूट के उपरिम चरमान्त से क्षुल्लक हिमवन्त वर्षधर पर्वत का सम धरणीतल यानि सम भूमितल छह सौ योजन अन्तर वाला है। इसी प्रकार शिखरी कूट का भी अन्तर जानना चाहिए । The celestial vehicles in Sanat Kumar and Mahendra Kalpas have been said six hundred yojanas high. The distance from the upper extreme end at Samvayang Sutra अनेकोत्तरिका वृद्धि 240 编写

Loading...

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446