Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 404
________________ अतीत-अनागतकालिक महापुरुष GREAT PERSONS OF PAST AND FUTURE ६२९-तेणं कालेणं तेणं समएणं कप्पस्स समोसरणं णेयव्वं जाव गणहरा सावच्चा निरवच्चा वोच्छिण्णा। उस काल (दुःषम-सुषमा) में तथा उस समय में (जब भगवान महावीर धर्मोपदेश करते हुए विहार कर रहे थे, तब) कल्पभाष्य के अनुसार समवसरण का वर्णन वहाँ तक करना चाहिए, जब तक कि सापत्य यानि शिष्य-सन्तान-युक्त सुधर्मास्वामी और निरपत्य यानि शिष्य-सन्तान रहित शेष | समस्त गणधर देव व्युच्छिन्न अर्थात् सिद्ध हो गए। According to the Kalpabhashya the description of religious assembly (Samvasran) should be done from the period of (Dushama-Shushama) and the time when Bhagwan Mahavir was traveling delivering his sermons till the time when Sudharma Swami with his disciples, and the remaining all the head of the ascetic group (Gandhar) devoid of any disciple, had attained the salvation. ६३०-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीयाए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा होत्था। तं जहा- 5 मित्तदामो सुदामे य सुपासे य सयंपभे। विमलघोसे सुघोसे य महाघोसे य सत्तमे।।१।। इस जम्मूद्वीप के भारतवर्ष में अतीत काल की उत्सर्पिणी में जो कुलकर उत्पन्न हुए थे, उनकी | संख्या सात कही गई है। यथा-1. मित्रदाम, 2. सुदाम, 3. सुपार्श्व, 4. स्वयम्प्रभ, 5. विमलघोष, 6. सुघोष, 7. महाघोष। The twins (Kulkurs) those who took birth in past in the area of Bharat of this Jambu continent in the ascending period of time (Utsarpini Kaal) were as follows : 1. Mitradam, 2. Sudama, 3. Suparshava, 4. Swayamprabha, 5. Vimal , Ghosh, 6. Sughosh, 7. Mahaghosha. ६३१-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीयाए ओसप्पिणीए दस कुलगरा होत्था। तं जहा संयजले सयाऊ य अजियसेणे अणंतसेणे य। कज्जसेणे भीमसेणे महाभीमसेणे य सत्तमे।।२।। दढरहे दसरहे सयरहे। इस जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में अतीतकाल की अवसर्पिणी में जो कुलकर उत्पन्न हुए थे, उनकी महापुरुष %% %%%%% 328 %%% Samvayang Sutra %% %% %% % % %% %% %%%% %%% %% %% %

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