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सव्वेसि पि जिणाणं जहियं लद्धाउ पढमभिक्खाउ।
तहियं वसुधाराओ सरीरमेत्तीओ वुट्ठाओ।।३३।। लोकनाथ ऋषभदेव को प्रथम भिक्षा में इक्षुरस प्राप्त हुआ। शेष तेईस तीर्थंकरों को प्रथम भिक्षा में अमृत-रस के समान परम-अन्न यानि खीर की प्राप्ति हुई।।।32।।
सभी जिनों तीर्थंकरों ने जहाँ-जहाँ प्रथम भिक्षा प्राप्त की वहाँ-वहाँ शरीर प्रमाण ऊँची वसुधारा की वर्षा हुई।।।33।।
In his first alms Bhagwan Rishabh Dev got sugarcane juice. In their first alm the remaining twenty three Fordmakers got; equal to nectar, the supreme food i.e. Kheer-a dish boiled in milk and rice with sugar. Wherever the Fordmakers got the first alms it rained. Vasudhara (Wealth) there equal to the height of body. ६४६-एएसिं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउवीसं चेइयरुक्खा होत्था। तं जहा
णग्गोह सत्तिवण्णे साले पियए पियंगु छत्ताहे। सिरिसे य णागरुक्खे साली य पिलखुरुक्खे य॥३४॥ तिंदुग पाडल जंबू आसत्थे खलु तहेव दहिवण्णे। णंदीरुक्खे तिलए अंबयरुक्खे य असोगे य।।३५।। चंपय वउले य तहा वेडसरुक्खे य धायई रुक्खे।
साले य वड्डमाणस्स चेइयरुक्खा जिणवराणं।।३६।। इन चौबीस तीर्थंकरों के क्रमशः चौबीस चैत्यवृक्ष थे। इन चैत्यवृक्षों के नाम इस प्रकार से हैं1. न्यग्रोध (वट), 2. सप्तपर्ण, 3. शाल, 4. प्रियाल, 5. प्रियंगु, 6. छत्राह, 7. शिरीष, 8. नागवृक्ष, 9. साली, 10-पिलखुवृक्ष, 11. तिन्दुक, 12. पाटल, 13. जम्बू, 14. अश्वत्थ (पीपल), 15. दधिपर्ण, 16. नन्दीवृक्ष, 17. तिलक, 18. आम्रवृक्ष, 19. अशोक, 20-चम्पक, 21. बकुल, 22. वेत्रसवृक्ष, 23. धातकी वृक्ष, 24. शालवृक्ष ।।34-36।।
There were twenty four Chaitya trees respectively of these twenty four Fordmakers. The names of these Chaitya trees are as follows:
1. Nyagrodh (Banyan tree), 2. Suptparn, 3. Shal (teak), 4. Priyal, 5. Priangu, 6. Chhatrah, 7. Shirish, 8. Nagvarkash, 9. Sali, 10. Pilankhu tree, 11. Tinduk, 12. Patal, 13. Jambu, 14. Ashvasth (Pipal), 15. Dadhi leaf, 16. Nandi Tree, 17. Tilak, 18. Mango tree, 19. Ashok, 20. Champak, 21. Bakul, 22. Vetrash tree, 23. Dhataki tree, 24. Shal tree.
समवायांग सूत्र
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