Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 384
________________ शेष कल्पों में सहस्रार तक क्रमशः अट्ठाईस लाख, बारह लाख, आठ लाख, चार लाख, पचास हजार, छह सौ तथा आनत-प्राणत कल्प में चार सौ और आरण-अच्युत कल्प में तीन सौ विमान कहना चाहिए। ये समस्त कथन पूर्वोक्त गाथाओं के अनुसार जानना चाहिए। O Lord ! What the number of the residences of celestial beings of Soudharma Kalpa has been said? O Gautam ! the number of the celestial vehicles of Soudharma Kalpa has been said thirty two lacs. In the same way the number of celestial vehicles of Ishan to Sahasrar Kalpas has been said twenty eight lacs, twelve lacs, eight lacs, four lacs, twenty five thousand, six hundred respectively and the number of Anat and Pranat Kalpas are four hundred of each and in Aran and Achyut three hundred of each should be said. The whole description should be known according to the verses (Gathas) already mentioned above. ५९३-नेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। अपजत्तगाणं नेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्तं। पजत्तगाणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए एवं जाव। भगवन्! नारक कितने स्थिति काल के कहे गए हैं? गौतम! नारकों की जघन्य स्थिति दश हजार वर्ष की तथा उत्कृष्ट स्थिति तेतीस सागरोपम कही - गई है। भगवन्! अपर्याप्तक नारक कितने स्थिति काल के कहे गए हैं? गौतम! अपर्याप्तक नारकों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। पर्याप्तक नारकों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति क्रमशः अन्तर्मुहूर्त कम दश हजार वर्ष की और अन्तर्मुहूर्त कम तेतीस सागरोपम की कही गई है। इसी प्रकार इस रत्नप्रभा पृथ्वी से लेकर महातम:प्रभा पृथ्वी तक अपर्याप्तक नारकों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की तथा पर्याप्तकों की स्थिति वहाँ || भी सामान्य, जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति से अन्तर्मुहूर्त-अन्तर्मुहूर्त कम जानना चाहिए। विशेष:-इसी प्रकार भवनवासियों, वाणव्यन्तरों, ज्योतिष्कों, कल्पवासियों और ग्रैवेयकवासी देवों की पर्याप्तक-अपर्याप्तक काल-भावी जघन्य व उत्कृष्ट स्थिति प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार जानना चाहिए। O Lord! How much the life span of the immature (Aparyaptak) hellish » beings has been said? विविध विषय %% % %% 308 %% Samvayang Sutra %%% % %% % %% %% %% %% %% % %% %%% %

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