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Gautam ! Five types of physical bodies have been said as : 1. the Gross body, 2. proteen or transformable body, 3. Conveyance or Assimilative body, 4. $|| Fiery or luminous body, and 5. Karmic body.
। ५९६-ओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते। तं जहा-एगिदिय5 ओरालियसरीरे जाव गब्भवक्कंतिय मणुस्स-पंचिंदिय-ओरालियसरीरे य।।
भगवन्! औदारिक शरीर कितने प्रकार के कहे गए हैं?
गौतम! औदारिक शरीर पाँच प्रकार के कहे गए हैं। यथा-1.एकेन्द्रिय औदारिक शरीर, 2.द्वीन्द्रिय + औदारिक शरीर, 3.त्रीन्द्रिय औदारिक शरीर, 4.चतुरिन्द्रिय औदारिक शरीर, 5.पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर (गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर तक।)
O Lord ! How many kinds of gross bodies are said?
Gautam ! the gross bodies have been said of five types as : one sense gross $body, 2. two senses gross body, 3. three senses gross body, 4. four senses gross
body, and 5. five senses gross body (uteruseous human beings upto the five senses beings).
५९७-ओरालियसरीरस्स णं भंते! के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा! जहन्नेणं | अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं एवं जहा ओगाहण-संठाणे ॐ ओरालियपमाणं तहा निरवसेसं (भाणियव्वं।)। एवं जाव मणुस्से त्ति उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। ___भगवन्! औदारिक शरीर वाले जीव की जघन्य और उत्कृष्ट शरीर अवगाहना कितनी कही गई है?
____ गौतम! औदारिक शरीर वाले जीव की जघन्य शरीर अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण | कही गई है। यह कथन पृथ्वीकायिक आदि की अपेक्षा से है। इसी प्रकार औदारिक शरीर वाले जीव |
की उत्कृष्ट शरीर-अवगाहना कुछ अधिक एक हजार योजन कही गई। यह कथन बादर । वनस्पति-कायिक की अपेक्षा से है।
इस प्रकार जैसे अवगाहना संस्थान नामक प्रज्ञापना-पद में औदारिक शरीर की अवगाहना का | प्रमाण कहा गया है, वैसा ही यहां सम्पूर्ण रूप से कहना चाहिए। इस प्रकार यावत् मनुष्य की उत्कृष्ट | शरीर-अवगाहना तीन गव्यूति (कोश) कही गई है।
O Lord ! How many, minimum and maximum, structures of gross bodies | beings are said?
Gautam ! The minimum structure of the gross-bodies beings has been said equal to the innumerable (Asamkhyatava) part of a finger. This statement is with regard to earth-bodies etc. Thus the maximum body structure of gross
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विविध विषय %%%%%%
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Samvayang Sutra
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