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श्रेणिका परिकर्म से लेकर शेष परिकर्म ग्यारह-ग्यारह प्रकार के कहे गए हैं। पूर्वोक्त सातों परिकर्म | स्वसामयिक हैं अर्थात् जैन मत के अनुसार हैं सात आजीविक मत के अनुसार हैं छह परिकर्म चतुष्कनय * वालों के मत के अनुसार हैं तथा सात परिकर्म त्रैराशिक मत के अनुसार हैं। इस प्रकार ये सातों परिकर्म * | पूर्वापर भेदों की अपेक्षा तिरासी होते हैं। ये सब परिकर्म हैं।
Beginning from Prishatha Shrenik Parikarman the remaining Parikarmas are of eleven types each. Above said first seven Parikarma belong to Swa-samay, i.e. according to the Jainism, the next seven parikarma are of Ajeevika faith, Six Parikarmas are according to the faith of Chatushak naya. Seven Parikarmas are based on Trai-rashik faith. Thus, with regards to the pre and post divisions of all these seven Parikarmas the total number of these parikarmas are eighty three.
५६२-से किं तं सुत्ताइं? सुत्ताइं अट्ठासीति भवंतीतिमक्खायाइं। तं जहा-उजुगं | | परिणयापरिणयं बहुभंगियं विप्पच्चइयं [विन (ज) यचरियं] अणंतरं परंपरं समाणं संजूहं। F(मासाणं.) संभिन्नं अहाच्चयं (अहव्वायं) सोवत्थि (वत्तं) णंदावत्तं बहुलं पुट्ठापुढे वियावत्तं । | एवंभूयं दुआवत्तं वत्तमाणप्पयं समभिरूढं सव्वओ भदं पणामं (पण्णासं) दुपडिग्गहं इच्चेयाई | वावीसं सुत्ताइं छिण्णछेअणइआई ससमय-सुत्तपरिवाडीए, इच्चेआई वावीसं सुत्ताई | अछिन्नछे यनइयाई आजीवियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेआई वावीसं सुत्ताइं तिकणइयाई
तेरासियसुत्तपरिवाडीए, इच्चेआई वावीसं सुत्ताइं चउक्कणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए। एवामेव सपुव्वावरेण अट्ठासीति सुत्ताइं भवंतीतिमक्खयाई। से तं सुत्ताई।
सूत्र क्या है? सूत्र अठासी प्रकार के कहे गए हैं। यथा – १. ऋजुक सूत्र, २. परिणतापरिणत सूत्र, ३. बहुभंगिक सूत्र, ४. विजयचर्चा सूत्र, ५. अनन्तर सूत्र, ६. परम्पर सूत्र, ७. समान (समानस) सूत्र, ८. संजूह-संयूथ (जूह) सूत्र, ९. संभिन्न सूत्र, १०. अहाच्चय सूत्र, ११. सौवस्तिक सूत्र, १२. नन्द्यावर्त
सूत्र, १३. बहुल सूत्र, १४. पृष्टापृष्ट सूत्र, १५. व्यावृत्त सूत्र, १६. एवंभूत सूत्र, १७. द्वयावर्त्त सूत्र, १८. * वर्तमानात्मक सूत्र, १९. समभिरूढ़ सूत्र, २०. सर्वतोभद्र सूत्र, २१. पणाम (पण्णास) सूत्र, २२. दुष्प्रतिग्रह
सूत्र । ये बाईस सूत्र स्वसमय सूत्र परिपाटी से छिनच्छेदनयिक हैं। ये ही बाईस सूत्र आजीविक सूत्र परिपाटी से अच्छिन्न छेदनयिक हैं। ये ही बाईस सूत्र त्रैराशिक सूत्र परिपाटी से त्रिकनयिक हैं तथा ये ही बाईस सूत्र स्वसमय सूत्र परिपाटी से चतुष्कनयिक हैं। इस प्रकार ये समस्त पूर्वापर भेद मिलकर अठासी सूत्र होते हैं। यह सूत्र नाम का दूसरा भेद है।
What is Sutra?
Sutras have been stated of eighty eight types as: 1. Rizuk Sutra, 2. ParinataParinat Sutra, 3. Bahubhangik Sutra, 4. Vijay Charca Sutra, 5. Anautar Sutra 6. Parampar Sutra, 7. Saman (samanas) Sutra, 8. Samjubh-Samyuth (Juhu) Sutra, 9. Sambhin Sutra, 10. Ahachchaya Sutra, 11. Sauvanstik Sutra,
समवायाग सूत्र
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Ganipittak %% %%%%
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