Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 317
________________ ४८४ - सव्वे विणं वट्टवेयड्डूपव्वया दस-दस जोयणसयाइं उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । दसदस गाउयसयाई उव्वेहेणं पण्णत्ता । मूले दस-दस जोयणसयाइं विक्खंभेणं पण्णत्ता । सव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंठिया पण्णत्ता । समस्त वृत्त वैताढ्य पर्वतों की ऊँचाई दश दश सौ योजन कही गई है। उन पर्वतों का उद्वेध (गहराई) दश-दश सौ गव्यूति (कोश) है। वे पर्वत मूल में दश दश सौ योजन विष्कम्भ वाले हैं। उन पर्वतों का आकार ऊपर-नीचे सर्वत्र पल्यंक (ढोल) के सदृश गोल कहा गया है। फ्र The height of all the circular Vaitadhya Mountains have been said equal to ten hundred yojanas each, the depth in the earth of all the mountains is ten hundred koshas (Indian scale) each. The expansion of these mountains at their roots has been said of ten hundred yojanas. The structure of all these mountains from top to bottom entirely has been said round and are similar to a drum. ४८५ - सव्वे विणं हरि-हरिस्सहकूडा वक्खारकूडवज्जा दस-दस जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । मूले दस जोयणसयाइं विक्खंभेणं (पण्णत्ता ) । एवं बलकूड वि नंदणकूडवज्जा। वक्षार कूट को छोड़कर सभी हरिकूट और हरिस्सहकूट की ऊँचाई दश - दश सौ योजन कही गई है। वे कूट मूल में दश सौ योजन विष्कम्भ वाले हैं। इसी प्रकार नन्दन कूट को छोड़कर सभी बलकूट भी दश सौ योजन विस्तार वाले जानना चाहिए। Barring the Vakshar Kut the height of all the Harikut-Harrisah Kut have been said of ten hundred yojanas each. These Kuts are of expansion of ten hundred yojanas at their roots. In the same way barring the Nandan forest all the other Bal Kuts should be known of the expansion of ten hundred yojanas, too. ४८६ - अरहा णं अरिट्ठनेमी दस वाससयाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। पासस्स णं अरहओ दस सयाइं जिणाणं होत्था । पासस्स णं अरहओ दस अंतेवासीसयाई कालगयाइं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई । अरिष्टनेमि अर्हत् ने दश सौ वर्ष की समग्र आयु भोगी और वे सिद्ध-बुद्ध हुए। वे अन्ततः कर्ममुक्त हुए और परिनिर्वाण को प्राप्त हुए । अन्ततोगत्वा वे सर्व दुःखों से रहित हो गए। पार्श्व अर्हत् के दश सौ अन्तेवासी शिष्य कालगत होकर सिद्ध-बुद्ध हुए। वे कर्म-मुक्त होकर परिनिर्वाण को प्राप्त हुए । अन्ततोगत्वा वे सर्व दुःखों से रहित हो गए। Arihant Arishtnemi enjoyed a total life of ten hundred years and attained salvation. Ultimately he got liberated from karmas and attained Parinirvana. 筆 事 245 Multidifferential समवायांग सूत्र 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐筑卐卐卐卐卐卐卐卐卐

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