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इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितने ही नारक तथा असुरकुमार देव उन्नीस - उन्नीस पल्योपम स्थिति वाले कहे गए हैं। सौधर्म ईशान कल्प के देव भी उन्नीस पल्योपम स्थिति के कहे गए हैं। आनतकल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति उन्नीस सागरोपम कही गई है।
The life span of the hellish beings and fiendish gods has been described of nineteen Palyopama in the Ratanprabh hell (land). The life duration of the celestial beings of the celestial vehicles named Sodharma-Ishan kalpas has been told of nineteen Palyopama. The maximum life stay of the celestial beings of Aanatkalp has been said of nineteen Sagropama.
१३९ - पाणए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं जहण्णेणं एगूणवीससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । जे देवा आणतं पातं णतं विणतं घणं सुसिरं इंदं इंदोकंतं इंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एगूणवीससागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । तेणं देवा गूणवीस अद्धमासाणं आणमंति वा, पाणमंति वा, उस्ससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं एगूणवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ।
संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा जे एगूणवीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ।
१. आनत
प्राणत कल्प में उन्नीस सागरोपम जघन्य स्थिति वाले देवों का उल्लेख हुआ है। वहाँ के देव विशिष्ट विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं । उन विशिष्ट विमानों की संख्या नौ निरूपित है। यथा विमान, २. प्राणत विमान, ३. नत विमान, ४. विनत विमान, ५. घन विमान, ६. सुषिर विमान, ७. इन्द्र विमान, ८. इन्द्रकान्त विमान, ९. इन्द्रोत्तरावतंसक विमान । वे देव उन्नीस सागरोपम उत्कृष्ट स्थिति वाले कहे गए हैं। वे देव उन्नीस अर्धमासों (साढ़े नौ मासों) के उपरान्त उच्छ्वास - नि:श्वास अथवा आनप्राण की क्रियाएँ करते हैं । वे देव उन्नीस हजार वर्षों के उपरान्त आहार की इच्छा करते हैं ।
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कितने ही भव्यसिद्धिक जीव उन्नीस भव (जन्म) ग्रहण करेंगे। इसके उपरान्त वे सिद्ध-बुद्ध होंगे। वे भव्य सिद्धिक जीव कर्मों से विमुक्त होकर परमनिर्वाण को प्राप्त होंगे। अन्ततोगत्वा सर्व दुःखों का शमन (अन्त) करेंगे।
It has been narrated that the celestial beings of the Pranat celestial beings have minimum life-span of nineteen Sagropama. The celestial beings of these vehicles take birth into the exclusive celestial vehicles, the number of these special celestial vehicles are nine, as follows :- 1. Anat Viman (celestial vehicle), 2. Pranat Viman, 3. Nat Viman, 4. Vinat Viman, 5. Ghan Viman, 6. Sushir Viman, 7. Inder Viman, 8.Inderkant Viman, 9. Inderotaravatansak Viman. They are said to have the maximum life of nineteen Sagropama. These celestial beings do the activity of respiration or inhale and exhale once after the completion of nineteen
उन्नीसवां समवाय
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Samvayang Sutra
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