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2 mountain situated in all the four directions should be known. 5 ४११-बाहिराओ उत्तराओ णं कट्ठाओ सूरिए पढम छम्मासं अयमाणे चोयालीसइमे - मंडलगते अट्ठासीति इगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स दिवसखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्ढेत्ता
सूरिए चारं चरइ । दक्षिणकट्ठाओ णं सूरिए दोच्चं छम्मास्सं अयमाणे चोयालीसतिमे मंडलगते अट्ठासीई इगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स रयणीखेत्तस्स निवुड्वेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिनिवुड्डित्ता णं सूरिए | चारं चरइ।
_ बाहरी उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा को गमन करता हुआ सूर्य प्रथम छह मास में चवालीसवें
मण्डल में पहुँचता है। यहाँ पँहुचने पर वह मुहूर्त के इकसठिए अठासी भाग दिवसक्षेत्र अर्थात् दिन |को घटाकर और रजनीक्षेत्र (रात) को बढ़ाकर संचार करता है। इसी प्रकार दक्षिण दिशा से उत्तर
दिशा की ओर जाता हुआ सूर्य दूसरे छह मास पूर्ण कर चवालीसवें मण्डल में पहुँचता है। वहाँ पहुँचने
पर वह मुहूर्त के इकसठिए अठासी भाग रजनीक्षेत्र यानि रात को घटाकर और दिवसक्षेत्र यानि दिन 9 को बढ़ाकर संचार करता है।
The Sun moving from the outer north direction to the south direction, reaches into forty fourth Mandal (orbit) in first six months. After reaching there the Sun moves decreasing the day time and increasing the night time equal to sixty one out of eighty eight part of one muhurat. In the same way the Sun moving from the south direction to north direction reaches in forty fourth Mandal completing second six months. After reaching there the Sun moves decreasing the night's time and increasing the day's time equal to sixty one part out of eighty eight parts of one muhurat (Indian time).
।। अठासीवां समवाय समाप्त ।
(The End of Eighty Eighth Samvaya)
नवासीवां समवाय : The Eighty Nineth Samvaya ४१२-उसभे णं अरहा कोसलिए इमीसे ओसप्पिणीए ततियाए सुसमदूसमाए पच्छिमे | भागे एगूणणउइए अद्धमासेहिं [ सेसेहिं ] कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। | समणे णं भगवं महावीरे इमीसे ओसप्पिणीए चउत्थाए दूसमसुसमाए समाए पच्छिमे भागे
एगणनउइए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे।
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समवायांग सूत्र %%%%% %%%%%%%%%
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89th Samvaya %%%%%%%% %
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