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सत्तावनवां समवाय
The Fifty Seventh Samvaya ३००-तिण्हं गणिपिडगाणं आयारचूलियावजाणं सत्तावन्नं अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-आयारे सूयगडे ठाणे।
आचारचूलिका को छोड़कर तीन गणिपिटकों के सत्तावन अध्ययन कहे गए हैं। यथा – आचारांग के अन्तिम निशीथ अध्ययन को छोड़कर प्रथम श्रुतस्कन्ध के नौ, द्वितीय श्रुतस्कन्ध के आचार चूलिका
को छोड़कर पन्द्रह, सूत्रकृतांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध के सोलह, द्वितीय श्रुतस्कन्ध के सात और स्थानांग | के दश, इस प्रकार कुल सत्तावन अध्ययन हैं।
Barring the Acharchulika (conduct annexure) fifty seven chapters of three ganipitak have been said as:- barring the last Nishith chapter of Acharang Sutra nine of the 1st Shrutskandh, barring Acharchulika fifteen of second shrutskandh, sixteen of 1st Shrutskandh of Sutrakritang, seven of 2nd Shrutskandh and ten of Sthanang. Thus there are fifty seven chapters.
३०१-गोथूभस्स णं आवासपव्वयस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महापायालस्स बहुमज्झदेसभाए एस णं सत्तावन्नं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। एवं दगभागस्स केउयस्स य संखस्स य जूयस्स य दयसीमस्स ईसरस्स य।
गोस्तूभ आवास पर्वत के विषय में कहा गया है कि इस पर्वत के पूर्वी चरमान्त से बड़वामुख महापाताल के बहु मध्य देशभाग का बिना किसी बाधा के सत्तावन हजार योजन अन्तर है। इसी प्रकार दकभास और केतुक का, संख और यूपक का तथा दकसीम और ईश्वर नामक महापाताल का अन्तर जानना चाहिए।
In respect of Gostubh Mountain it has been said that the distance from the East extreme end of this Mountain to the multiple middle single part of Badva Mukhi bottom without any obstructions is said to be fifty seven thousand yojanas, In the same way is the distance between Dakmas great bottom and Ketuk great bottam, Sankh and Yupak great bottom and Dakseen and Ishwar great bottom should be known.
३०२-मल्लिस्स णं अरहओ सत्तावन्नं मणपजवनाणिसया होत्था।
महाहिमवंत-रुप्पीणं वासहरपव्वयाणं जीवाणं धणुपिटुं सत्तावन्नं सत्तावन्नं जोयणसहस्साइं दोन्नि य तेणउए जोयणसए दस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं पण्णत्तं।
मल्लि अर्हत् के संघ में सत्तावन सौ मनःपर्यवज्ञानी मुनि कहे गए हैं। समवायांग सूत्र
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57th Samvaya
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