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उनहत्तरवां समवाय
The Sixty Nineth Samvaya
३४२ - समयखित्ते णं मंदरवज्जा एगूणसत्तरिं वासा वासधरपव्वया पण्णत्ता, तं जहापणत्तीसं वासा, तीसं वासहरा, चत्तारि उसुयारा ।
समय क्षेत्र यानि मनुष्य क्षेत्र या अढाई द्वीप में मन्दर पर्वत को छोड़कर उनहत्तर वर्ष और वर्षधर पर्वत कहे गए हैं। यथा- पैंतीस वर्ष (क्षेत्र), तीस वर्षधर (पर्वत) और चार इषुकार पर्वत ।
In the Samay Kshetra i.e. human beings region of two and a half continents, barring the Mandar Mountains,Sixty Nine Varsh and Varshdhar Mountains have been said namely thirty five Varsh (mountians), thirty Varshdhar(mountains) and four Ishukar mountains.
३४३-मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमिल्लाओ चरमंताओ गोयमदीवस्स पच्चत्थिमिल्ले चरमंते एस एगूणसत्तरं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।
मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से गौतम द्वीप का पश्चिम चरमान्त भाग उनहत्तर हजार योजन अन्तर वाला बिना किसी व्यवधान के कहा गया है।
From the western extreme end of the Jambu continent to the western extreme end part of Gautamis land the distance without any gap has been told 事 of sixty nine thousand yojanas.
३४४-मोहणिज्जवज्जाणं सत्तण्हं कम्मपगडीणं एगूणसत्तरि उत्तरपगडीओ पण्णत्ताओ । मोहनीय कर्म को छोड़कर शेष सातों कर्म प्रकृतियों की उत्तर प्रकृतियाँ उनहत्तर कही गई हैं। Barring the Deluding Karma the tendencies of remaining seven karmas have been said Sixty nine Uttar tendencies.
।। उनहत्तरवां समवाय समाप्त ।। (The End of Sixty Nineth Samvaya)
सत्तरवां समवाय
The Seventieth Samvaya
३४५-समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसराईए मासे वइक्कंते सत्तरिएहि राइदिएहिं सेसेहिं वासावासं पज्जोसवेइ ।
समवायांग सूत्र
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69th Samvaya