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रत्नप्रभा पृथ्वी में कितने ही नारक छह पल्योपम तथा बालुका प्रभा पृथ्वी में कितने ही नारक छह । | सागरोपम की स्थिति के कहे गए हैं। असुरकुमार तथा सौधर्म-ईशान कल्पों के कितने ही देव छहछह पल्योपम की स्थिति वाले कहे गए हैं।
The hellish beings of Ratanprabha and Balukaprabha hell have been A described of six Palyopama and six Sagropama duration respectiv
span of Asurkumar (fiendish) and celestial beings of Sodharma kalpa and Ishan kalpa have been said of six Palyopama duration each.
३६-सणंकुमार-माहिदेसु [कप्पेसु] अत्थेगइयाणं देवाणं छ सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा सयंभु सयंभुरमणं घोसं सुघोसं महाघोसं किट्ठियोसं वीरं सुवीरं वीरगतं वीरसेणियं वीराक्तं वीरप्पभं वीरकंतं वीरवण्णं वीरलेसं वीरज्झयं वीरसिंगं वीरसिटुं वीरकूडं वीरुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं छ सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ते णं देवा छण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा, ऊससंति वा नीससंति वा, तेसिं णं देवाणं छहिं | वाससहस्सेहिं आहारटे समुप्पजइ।
संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे छहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति में || परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति।
___सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों के कितने ही देवों की स्थिति छह सागरोपम है। इतनी ही उत्कृष्ट स्थिति उन देवों की है जो विशिष्ट विमानों में देवरूप में उत्पन्न होते हैं। उन विशिष्ट विमानों के नाम इस प्रकार हैं – स्वयम्भू, स्वयम्भूरमण, घोष, सुघोष, महाघोष, कृष्टिघोष, वीर, सुवीर, वीरगत, वीरश्रेणिक, वीरावर्त, वीरप्रभ, वीरकान्त, वीरवर्ण, वीर-लेश्य, वीरध्वज, वीर शृंग, वीर सृष्ट, वीरकूट, और 5 वीरोत्तरावतंसक । वे देव छह अर्धमासों अर्थात् तीन मासों के अन्तराल में उच्छ्वास-निःश्वास अथवा | आन-प्राण की क्रियाएँ करते हैं। छह हजार वर्षों के उपरान्त वे देव आहार की इच्छा रखते हैं।
कितने ही भव्यसिद्धिक जीव छह भवों को ग्रहण करने के उपरान्त सिद्ध, बुद्धं व कर्मों से मुक्त होंगे। तदुपरान्त परम निर्वाण को प्राप्त होंगे। वे जीव अन्ततः समस्त दुःखों का शमन (अन्त) करेंगे।
The duration of the life of the celestial being of the Sanat Kumar and Mahendra Kalpa is six Sagropama. The same maximum lifespan is said of the celestial beings who reincarnated in the exclusive celestial vehicles of gods. The name of the special (exclusive) vehicles of gods are as follows :Devswayambhu, Swayambhuraman, Ghos, Sughos, Mahaghos, Krishthghos, Veer, Suveer, Veergat, Veershrenik, Veervrata, Veerprabh, Veerkant, Veervarn, Veerlesya, Veerdhvaj, Veershring, Veershristh, Veerkut and Veeravantashk. All these gods inhale and exhale once after completion of three months. They need food once after three thousand years.
छठा समवाय
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Samvayang Sutra