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६९ - सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं दस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । बंभलो कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता ।
सौधर्म-ईशान कल्पों के कितने ही देव तथा ब्रह्मलोक कल्प के देव क्रमशः दश पल्योपम स्थिति के और दश सागरोपम उत्कृष्ट स्थिति के कहे गए हैं।
The maximum life span of the gods of the Sodharma, Ishan Kalpas and Brahmnlokas has been said as Ten Palyopama and Ten Sagropama respectively.
७० - लंतए कप्पे देवाणं अत्थेगइयाणं जहणणेणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । जे देवा घोसं सुघोसं महाघोसं नंदिघोसं सुसरं मणोरमं रम्मं रम्मगं रमणिज्जं मंगलावत्तं बंभलोगवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता, ते णं देवा दसहं अद्धमासाणं आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा, तेसिं णं देवाणं दसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ ।
संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे दसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ।
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लान्तककल्प के कितने ही देव दश सागरोपम जघन्य स्थिति के कहे गए हैं। लान्तक कल्प में विमानों में देव रूप से उत्पन्न देवों की उत्कृष्ट स्थिति दश सागरोपम कही गई है। इन विमानों की संख्या ग्यारह है । यथा - १. घोष, २. सुघोष, ३. महाघोष, ४. नन्दिघोष, ५. सुस्वर, ६. मनोरम, ७. रम्य, ८. रम्यक्, ९. रमणीय, १०. मगलावर्त, ११. ब्रह्मलोकावतंसक । वे देव आन-प्राण या उच्छ्वासनिःश्वास की क्रियाएँ दंश अर्द्धमासों (पाँच मासों) के उपरान्त करते हैं और उन देवों को आहार की इच्छा दश हजार वर्षों के पश्चात् होती है।
कितने ही भव्यसिद्धिक जीव दश भव ग्रहण करने वाले होंगे । इसके उपरान्त वे जीव सिद्ध बुद्ध होंगे। वे जीव कर्मों से मुक्त होकर परम निर्वाण को प्राप्त होंगे। वे जीव अन्ततोगत्वा समस्त दुःखों का शमन या अन्त करेंगे।
The minimum life span of the gods of the Lokantak Kalpa has been narrated as Ten Sagropama. The gods who take birth into the vehicle of Lokantak gods have been described having the maximum life span of Ten Sagropama. The numbers of these vehicles of gods are eleven :- 1. Devghos, 2. Sughos, 3. Mahaghos, 4. Nandighos, 5. Susvar, 6. Manoram, 7. Ramya, 8. Ramyak, 9. Ramniya, 10. Mangalavrat, 11. Brahmalok avatansk. After completion of five months these gods do the activities of inhaling &exhaling and they desire for food once after the completion of Ten thousand years. The beings capable of salvation ( Bhavyasidhik jeevas) among them will take 10 births in
10th Samvaya
समवायांग सूत्र
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