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The Ishtpragbhara Prithvi (seat of the liberated souls), has been said to be situated twelve yojana above the summit on (Chulika) of the 26th Sarvarthsidh great celestial vehicle. This land has been known by twelve names as follows :1. Isht, 2. Ishtpragbhara, 3. Tanu Prithvi, 4. Tanutari Land, 5. Sidhi Land, 6. Sidhalya, 7. Mukti, 8. Muktalya, 9. Brahm, 10. Brahmavantsk, 11. Lokparitpurna, 12.Lokagrachulika.
८३-इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बारस पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। पंचमीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बारस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। 5 असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं बारस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु | अत्थेगइयाणं देवाणं बारस पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता।
- इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बारह पल्योपम वाली स्थिति के नारक कहे गए हैं। इसी प्रकार पाँचवीं * धूमप्रभा पृथ्वी में कितने ही नारकों की स्थिति बारह सागरोपम कही गई है। कितने ही असुरकुमार देव
भी बारह पल्योपम स्थिति के कहे गए हैं। सौधर्म-ईशान कल्पों में भी कितने ही देवों की स्थिति बारह पल्योपम है।
The infernal beings of this Ratanprabha hell have been said of the life span * of twelve Palyopama, likewise the life duration of the hellish beings of the
Dhumprabha Prithvi has been said of twelve sagaropama. The fiendish (Asurkumar Dev) gods have been told of twelve Palyopama duration. The duration of lives of the celestial beings of Sodharma and Ishan kalpa is also of twelve Palyopama. .
८४-लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं बारस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। जे देवा महिंदं | महिंदज्झयं कंबुं कंबुग्गीयं पुखं सुपुंखं महापुंखं पुंडं सुपुंडं महापुंडं नरिंदं नरिंदकंतं नरिंदुत्तरवडिंसगं | विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसिंणं देवाणं उक्कोसेणं बारस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। ते णं
देवा बारसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा, ऊससंति वा नीससंति वा। तेसिं णं F) देवाणं बारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ।
संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे बारसहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। ____ लान्तक कल्प में कितने ही देवों की स्थिति बारह सागरोपम कही गई है। इस कल्प के देव
विशिष्ट विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं। इन विशिष्ट विमानों की नामावली इस प्रकार है- माहेन्द्र, 5 माहेन्द्रध्वज, कम्बु, कम्बुग्रीव, पुंख, सुपुंख, महापुंख, पुंड, सुपुंड, महापुंड, नरेन्द्र, नरेन्द्रकान्त,
नरेन्द्रोत्तरावतंसक । इन देवों की उत्कृष्ट स्थिति बारह सागरोपम कही गई है। ये देव बारह अर्धमासों
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समवायांग सूत्र
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12th Samvaya
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