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(त) उनके इन्हीं ले केचर गुणों का परिचय जनता को देने के लिये इस जवन चरित्र की रचना की गई है। यदि इसके अध्ययन से एक भी व्यक्ति का जीवन संभल गया तो लेखक अपने परिश्रम को सार्थक समझेगे।
पहिले इस जीवन चरित्र की घटनाओं को पंडित मुनि श्री शुक्लचन्द जी महाराज ने एकत्रित करके कानून निवासी उदय जैन से लिखवाया था। उस समय इसकी प्रेस कापी तैयार करके उसे लाहौर के एक प्रेस में छपने दिया जाने वाला था, किन्तु पाकिस्तान वन जाने पर वह कापी वहीं रह गई और यहां उसको पंडित मुनि शुक्लचन्द जी ने दुवारा तैयार किया। हम को सारी लिखी लिखाई सामग्री उन्हीं मुनि महाराज से मिली है। हमने तो सम्पादक के नाते उसमें भाषा का संस्कार
आदि ही किया है। इस ग्रन्थ की सामग्री के लिये हम उदय जैन के सामान्य रूप से तथा पंडित मुनि शुक्ल चन्द जी महाराज के विशेष रूप से प्राभारी हैं। हमने इस ग्रन्थ में पण्डित मुनि श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज के जीवन चरित्र के सम्बन्ध में एक अध्याय अपनी ओर से भी लिख कर जोड़ दिया है । इस ग्रन्थ में और भी जहां कहीं प्रशंसात्मक वाक्य उनके सम्बन्ध में आ गए हैं, वह सब हमारे लिखे हुए हैं।
आशा है कि आज की शिथिलाचार की अन्धकारपूर्ण रात्रि में यह ग्रन्थ दीपक का काम देगा।
चन्द्रशेखर शास्त्री। मकान नं० ४५६६ बाजार पहाड़गंज,
नई दिल्ली-१। तारीख २२ अगस्त १९५३ ई०