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प्राकृतव्याकरणे
होता है । उदा
दोहा
दुहाइअं । ( द्विधा शब्द के आगे ) कृ धातु का
( प्रयोग होने पर ) ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण वैसा न हो, तो द्विधा में से इका होता है । उदा० ) दिहागयं । क्वचित् ( आगे कृ धातु का केवल ( द्विघा शब्द में भी इ का उ होता है । उदा०- -)
ओ अबबा उ नहीं प्रयोग न होने पर )
दुहा.. .... सत्थो ।
वा निर्झरे ना ॥
६८ ॥
निर्झरशब्दे नकारेण सह इत ओकारो वा भवति । ओज्झरो निज्झरो । निर्झर शब्द में नकार के साथ इ का ओकार विकल्प से होता है । उदा०-भोज्झरो, निज्झरो ।
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हरतिक्यामीतोत् ॥ ६६ ॥
हरीतकीशब्दे आदेरीकारस्य अद् भवति । हरडई | हरीतकी शब्द में, आदि ईकार का अ होता है । उदा०-आकश्मीरे ॥ १०० ॥
३१
--हरडई |
कश्मीरशब्दे ईत् आद् भवति । कम्हारा ।
कश्मीर शब्द में ई का आ होता है । उदा०-- कम्हारा ।
पानीयादिष्वित् ।। १०१ ।।
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पानीयादिषु शव्देषु ईत् इद् भवति । पाणिअं । अलिअं । जिअ । जिअउ | विलिअं । करिसी । सिरिसो । दुइअं । तइअं । गहिरं । उवणिअं । आणिअं । पलिविअं | ओसि अन्तं । पसिअ । गहिअं । वम्मिओ । तयाणि । पानीय । अलीक | जीवति । जीवतु । त्रीडित । करीष । शिरीष । द्वितीय । तृतीय । गभीर । उपनीत । आनीत । प्रदोपित | अवसीदत् । प्रसीद । गृहीत । वल्मीक । तदानीम् । इति पानीयादयः ॥ बहुलाधिकार। देषु क्वचिन्नित्यं क्वचिद् विकल्पः । तेन | पाणीअं । अलीअं । जीअइ । करीसो । उवणीओ । इत्यादि सिद्धम् ।
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पानीय इत्यादि शब्दों में ई का इ होता है । उदा०-- पाणिअंतयाणिं । ( इनके मूल संस्कृत शब्द ऐसे हैं :-- ) पानीय तदानीम् | ऐसे ये पानीय इत्यादि शब्द हैं । बहुल का अधिकार होने से, इन शब्दों में, ( ई का इ ) क्वचित् नित्य होता है तो कभी विकल्प से होता है । इसलिए पाणीअंउवणीओ ( ऐसे वर्णान्तर भी ) सिद्ध होते हैं ।
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