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प्राकृतव्याकरण-द्वितीयपाद
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२.२६२ इहरा-इतरथा-इअरहा ( और वर्णव्यत्यय से ) इहरा ऐसा कहा जा सकता है।
२.२१८ पिवि--सूत्र १.४१ देखिए ।
इस द्वितीय पाद के समाप्ति सूचक वाक्य के अनन्तर कुछ पाण्डुलिपियों में अगला श्लोक दिखाई देता है:
द्विषत्धुरक्षोद विनोदहेतो
भवादवामस्य भवद्-भुजस्य । अयं विशेषो भुवनैकवीर
परं न यत्काममपाकरोति ॥ (द्वितीय पाद समाप्त)
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