Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Hemchandracharya, K V Apte
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 442
________________ प्राकृतिकव्याकरण-चसुथंपाद ४२३ तेनातिविस्तृतदुरागमविप्रकीर्ण शब्दानुशासनसमूह-कर्षितेन अम्पथितो निरवमं विधिवद् व्यवत्त शब्दानुशासनमिदं मुनिहेमचंद्रः ॥ ४ ॥ राजहंसौ न भोम्भोजे क्रीडतो यावदन्यहम् । बाच्यमानं बुधस्तावत् पुस्तकं जयतादिदम् ॥ ५ ॥ ( चतुर्थपाद समाप्त ) (हेमचंद्रकृत प्राकृत व्याकरण समाप्त ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462