Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Hemchandracharya, K V Apte
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 427
________________ ४०८ टिप्पणियां __यहाँ केहउ, जेहु और तेहु में एह आदेश है । ( पहले पंक्तिमें से-)एहु--एहो (सूत्र ४३६२ ) में से ओ ह्रस्व हुआ है। ४०४०४ श्लोक १--यदि वह प्रजापति कहीं से शिक्षा प्राप्त कर (प्रजा को) निर्माण करता है, तो इस जगत में जहाँ वहीं (यानी कहीं भी) उस सुन्दरी के समान कोम है, बताओ। यहाँ जेत्थु, तेत्थु में त्र को एत्थु आदेश हुआ है । तहि--तहे ( सूत्र ४.३५९ ) में से ए ह्रस्व हुआ है । सारिक्ख-साक्ष्यं ( सूत्र २.१७ )। . ४४०५ केत्थु... .''जगि--यहाँ केत्थु, जेत्थु, वेत्थु में त्र को एत्थु आदेश हुआ है। ४.४०६ अपभ्रंशे... ..."भवन्ति-इस नियम के अनुसार, जाम-ताम, जाउंजालं, जाहि-ताहिं ऐसे वर्णान्तर होते हैं । पश्चात् सूत्र ४३९७ के अनुसार म का व होकर जाव:ता इत्यादि वर्णान्तर होते हैं। __ श्लोक १-जब तक सिंह के चपेटे का प्रहार गण्डस्थल पर नहीं पड़ा है, तब तक ही सर्व मदोन्मत्त हाथियों का ढोल नगारा पग-पग पर बजता है । यहां जाम-ताम में म आदेश है। श्लोक २-जब तक तेल निकाला नहीं है तब तक तिलों का तिलत्व ( रहता ) है; तेल निकल जाने पर तिल तिल न रहके खल (खली, दुष्ट ) हो जाते हैं। यहाँ जाउं-ताउं में उ आदेश है। पणठ्ठइ--पणट्ठ के आगे सत्र ४.४२९ के अनुसार स्वार्थे अ आया है। ज्जि--जि ( सून्न ४.४२० ) का द्वित्व हुआ है । फिट्टवि-सूत्र ४.४३९ देखिए । फिट्ट धातु भ्रंश् धातु का आदेश है ( सूत्र ४.१७७ देखिए )। श्लोक ३-जब जीवों पर विषम कायंगति आती है, तब अन्य जन रहने दो ( परन्त ) सुजन भी अन्तर देता है। यहाँ जामहि-तामहिं में हिं आदेश है । ४०४०७ अत्वन्तयो :-सूत्र २.१५६-१५७ ऊपर की टिप्पणी देखिए । जेवडु ... ..'गामह-जितना अन्तर राम-रावण में है उतना अन्तर नगर और गांव में हैं। यहाँ जेवडु-तेवडु में एवड आदेश है। जेवड तेवड-मराठी में जेवढा-तेवढा; गुजराती में-जेवढं तेवडं। जेत्तलो तेत्तलो--जेत्तिल-तेत्तिल में ( सूत्र २.१५७) स्वरभेद होकर ( सत्र ४.३२९ ) जेतल-तेत्तुल वर्णान्तर हो गया है। ४.४०८ एवड केवडु--मराठी में एवढा-केवढा । एत्तुलो केत्तुलो-एत्तिल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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