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टिप्पणियां
पं० रण्णो, राइणो रायत्तो,
रायत्तो, रायाओ, रायाउ, राएहि, रायाओ, रायाउ, रायाहि,
रायाहितो, राएहितो, रायासुंतो, राएसुतो, रायाहितो, राया
राइत्तो, राईओ, राईउ, राईहितो,
राईसुंतो। ष. राइणो, रणो रायस्स
राईण-णं, रायाण-णं स. राइम्मि, रायम्मि, राए
राईसु-सुं, राए-सं सं. राय, राया
(प्रथमा के समान) (सूत्र ३.४९.५५ देखिए )
अप्प/अप्पाण ( आत्मन् ) शब्द अप्प अंग के रूप राजन् के समान होते हैं । अप्पाण अंग के रूप वच्छ के समान होते हैं ( सूत्र ३.५६ )। तृतीया एक वचन में अप्पणिआ और अप्पण इआ ऐसे अधिक रूप हैं ( सूत्र ३.५७ )। ___३.५८ सर्वादेरदन्तात् -अकारान्त ( अदन्त ) सर्वादिका। सर्वादि यानी सर्व, यद्, तद्, किम् इत्यादि सर्वनाम । यद्, तद्, किम्, और एतद् इनके ज, त. क और एअ/एय ऐसे अकारान्त अंग होते हैं।
३.५९ अमुम्मि-अदस् सर्वनाम का सप्तमी ए० व० ( सूत्र ३.८८ देखिए )। ३.६० काए... "ती-ये रूप स्त्रीलिंगी आकारान्त और ईकारान्त अंगों
३.६१ डेसि-डित् एसि । सव्वाण... .. काणये रूप अकारान्त संज्ञा के समान हैं।
३.६३ कित... .."भ्यामपि-आकारान्त किम् यानी का, और आकारान्त तद् यानी ता। ___३.६४ किमादिभ्यः ईदन्तेभ्यः-ईकरान्त किम् इत्यादि यानी को, जी, तो। कोअ... .. तीए-सूत्र ३.६ देखिए।
३.६५ श्लोक १-यदा सहृदयों से लिए जाते हैं तदा वे गुण होते हैं। पक्षे कहि... .. कत्थ सूत्र ३.५९-६० देखिए ।
३.६८ डिणो डीस--डिन इणो और डित् ईस । ३.७० सलक्ष्यानुसारेण-व्याकरणीय नियमों के उदाहरणों के अनुसार । ३.७१ कत्तो कदो-सूत्र २.१६७ देखिए । ३ ७४ स्सि-मूत्र ३.५६ देखिए । स्स-सूत्र ३.१० देखिए । ३.७७ इमं . . 'इमेहि-इम अंग से बने हुए रूप हैं।
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