Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Hemchandracharya, K V Apte
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 400
________________ प्राकृतव्याकरण-चतुर्थपाद ३८१. ४.२८१ निपात-यहाँ निपात शब्द का अर्थ अव्यय है । ४२८२ हगे-सूत्र ४-३०१ देखिए । ४०२८४ भवं--सूत्र ४.२६५ देखिए । ४.२८६ अन्दावेदी जुवदिजणो-सूत्र १.४ देखिए । मणसिला-सूत्र १.२६, ४३ देखिए । ४०२८७-३०२ इन सूत्रों में मागधी भाषा के वैशिष्टय कहे हैं। ४२८७ अकारान्त पुल्लिगी संज्ञा का प्रथमा एकवचन एकारान्त होना, यह मागधी का एक प्रमुख विशेष है । एशे मेशे, पुलिशे-स ( और ष ) का श और र का ल होना, इनके लिए सूत्र ४.२८८ देखिए । यदपि....."लक्षपस्य-जैनों के प्राचीन सूत्र'ग्रन्थ अर्धमागव भाषा में हैं, ऐसा वृद्ध और विद्वान लोगों ने कह रखा है। इस अर्ध मागध से मागधी का सम्बन्ध बहुत कम है। मागधी के बारे में कहा हुआ सूत्र ४.२८७ इतना ही नियम अर्धमागध को लगता है; बाद के सूत्रों में कहे हुए मागधी के विशेष अर्धमागध में नहीं होते हैं। ४.२८८ र का ल और स ( प ) का श होना, यह मागधी का एक प्रमुख विशेष है। दन्त्य सकार-दन्त इस उच्चारण स्थान से उच्चारण किया जाने वाला सकार तालव्य शकार-तालु इस उच्चारण स्थान से उच्चारित होनेवाला शकार। श्लोक १-जल्दी में नमन करने वाले देवों के मस्तकों से गिरे हुए मन्दार फुलों से जिसका पद युगुल सुशोभित हुआ है, ऐसा ( वह ) जिन ( महा-) वीर मेरे सर्व पाप जंआल क्षालन करे । इस श्लोक में लहश, नमिल, शुल, शिल, मंदाल, लामिद, वलि, शयल इन शब्दों में यथासम्भव र और स क्रम से ल और श हुआ है। वीलयिण-जिन वीर यानी महावीर । जैन धर्म प्रकट करने वाले चौबीस जिन तीर्थकर होते हैं। राग इत्यादि विकार जितने वाला 'जिन' होता है। बीर शब्द यहाँ महावीर शब्द का संक्षेप है। महावीर जैनों का २४वाँ तीर्थकर माना जाता है । यिये, यम्बालं-ज का य होना, इसलिए सूत्र ४२९२ देखिए। अवय्य--सूत्र ४२९२ देखिए । ४२८६-२६८ इन सूत्रों में मागधी में से संयुक्त व्यञ्जनों का विचार है। उससे यह स्पष्ट होता है कि ( माहाराष्ट्री) प्राकृत में न चलने वाले ऐसे स्ख, स्न, स्प, स्ट, स्त, श्च, स्क, 8 और ज ये संयुक्त व्यञ्जन मागधी में चलते हैं । ४.२९२ अय्युणे....."गय्यदि, वय्यिदे-यहाँ प्रथम र्य का ज्ज हुआ, फिर ज्ज का य्य हो गया है। ४.२६३ द्विरुक्तो अः-द्वित्वयुक्त न यानी । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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