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प्राकृतध्याकरण-चतुर्थपाद
नहीं कहा जा सकता; आश्चर्य यह है कि उसके दो स्तनों के बीच का अन्तर इतना तुच्छ है कि उस ( दो स्तनों के ) बीच के मार्ग पर मन भी नहीं समाता है ( = नहीं पहुँचता है ) ।
यहाँ पतला ( बारीक ), नाजुक, सूक्ष्म, कम, कृश, सुन्दर इत्यादि अनेक अर्थों में तुच्छ शब्द प्रयुक्त किया गया है। इस श्लोक में, तुच्छराय शब्द उस सुन्दरी के प्रियकर का सम्बोधन है ऐसा टीकाकार कहता है ।
इस श्लोक में, 'मज्झहे, 'जम्पिरहे, 'रोमावलिहे, हासहे, अलहन्ति अहे, 'निवासहे, धणहे, मुद्धडहे इन षष्ठी एकवचनी रूपों में हे आदेश है।
तुच्छ्य र --- तुच्छ शब्द का तर-वाचक रूप है। तुच्छउँ-सूत्र ४.३५४ देखिए। अक्खणहं-सूत्र ४.४४१ देखिए । कटरि—आश्चर्यसूचक अव्यय है। विच्चि -सूत्र ४°४२१, ३३४ देखिए।
श्लोक २-जो अपना हृदय फोड़ते हैं उन ( स्तनों ) को दूसरों पर क्या दया आयेगी ? हे तरुण लोगों, उस तरुणी से अपनी रक्षा करो। ( उसके ) स्तन अभी सम्पूर्ण विषम ( हृदय फोड़ने वाले ) हो गए हैं ।
यहाँ बालहे, इस पञ्चमी एकवचन में हे आदेश है। हिय डउँअप्पणउँ-सूत्र ४'३५४ देखिए । हियड-सूत्र ४.४२६-४३० देखिए ।
कवण---सत्र ४.३६७ देखिए। मराठी में कवण, कोग । रक्खज्जहु-सूत्र ३.१७८; ४.३८४ देखिए । लोअहो-सूत्र ४.३४६ देखिए ।
४.३५१ श्लोक १-हे बहिनि, भला हुआ जो मेरा प्रियकर | पति ( युद्ध में ) मारा गया । ( कारण) पराभूत होकर या भाग कर वह घर वापस आता तो ( मेरे ) सखियों के सामने मैं लज्जित होती ( अथवा वह लज्जित होता )।
यहाँ वयंसिअह में पञ्चमी और षष्ठी अनेकवचन में ह आदेश है। भल्ला-- मराठी में भला ! महारा--सूत्र ४०४३४ देखिए। .
वयस्याभ्यो वयस्यानाम्---वयस्या शब्द का अनुक्रम से पञ्चमी बहुवचन और षष्ठी बहुवचन । ___ ४.३५२ श्लोक १--कौए को उड़ाती हुई ( विरहिणी ) स्त्री ने सहसा प्रियकर को देखा। ( तो उसके हाथ से ) आधी चूड़ियाँ जमीन पर गिर पड़ी और अवशिष्ट आधौ ( चूड़ियां ) तटकर टूट गईं।
इस श्लोक में कल्पना ऐसी है--हमारे देश में एक धारणा ऐसी है कि घर पर बैठ कर कोत्रा यदि काव-काव करता हो, तो घर में मेहमान आयेगा। इस
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