Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Hemchandracharya, K V Apte
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 396
________________ प्राकृतव्याकरण-चतुर्थवाद ४.१५७ चम्भाअइ-सूत्र ४२४० के अनुसार जम्मा धातु के आगे 'अ' आया हैं। ४.१६० अक्कमई-सूत्र ४२३९ और १.८४ के अनुसार यह वर्णान्तर होता है। ४.१६२ हम्मइ... ."भविष्यन्ति-'हम्म गतौ' इस धातु पाठ के अनुसार, 'जाना' इस अर्थ में हम्म धातु है; उससे हम्मइ इत्यादि रूप होंगे। ४.१७० तवरन्तो अअडन्तो-ये शब्द तुवर और ज अ उ इन धातुओं के व० का० धा० वि० हैं। ४१७१ त्यादौ शतरि-धातु को लगने वाले प्रत्यय (त्यादि ) और शतृ प्रत्यय आगे होने पर । शतृ प्रत्यय के लिए सूत्र ३.१८१ देखिए। तुरन्तो-तूर धातु का व० का० धा० वि० । ४.१७२ अत्यादौ-( शब्द में से ) आदि अ ( अत् ) आगे होने पर । उदा०स्वर् + अन्त = तु + अन्त = तुरन्त । तुरिओ-तुर धातु का क. भू. धा० वि० । ४.१७३ खिरइ झरइ पज्झरइ-मराठी में खिरणे, झरणे, पाझरणे । ४.१७७ फिट्टइ चुक्कइ भुल्लइ-मराठी में फिटणे, चुकणे, भुलणे। ४.१८१ देक्खइमराठी में देखण । निज्झाअइ... .. भविष्यति-निध्य धातु से होने वाले निज्झा इस वर्णान्तर के आगे सूत्र ४.२४. के अनुसार अन्त में अ (मत् ) आकर, निज्झाम ऐसा शब्द होता है। उससे निज्झाअइ रूप होगा। ४.१८२ छिबइ-मराठी में शिवणे। ४.१८४ पीसइ-मराठी में पिसणे । ४.१८६ भुक्क-मराठो में भुकणे। ४.१८७ कड्ढइ-मराठी में काढणे । ४.१८६ ढुण्ढुल्ल ढण्ढोल्लइ-मराठी में धांडोकणे । ४१६१ चोप्पउ-मराठी में चोपउणे । मक्खइ-मराठी में माखणे । ४.१६४ तच्छइ-मराठी में तासणे । ४.१६७ परिल्हसइ-यहाँ ल्हस के पीछे परि उपसर्ग आया है । ४१९८ डरइ-हिन्दी में डरना। ४२०२ ह्रस्वत्वे--सूत्र १.८४ के अनुसार, ह्रस्व होने पर । ४.२०६ चडइ-मराठी में चढणे । ४.२०७गुम्मइ-मराठी में धुम्म (होणे)। ४.२०८ डहइ-सूत्र १.२१८ देलिए । ४.२१० गोण्हिअ-सूत्र २.१४६ के अनुसार, अ प्रत्यय आता है, और उसके पूर्व सूत्र ३.१५० के अनुसार अन्त्य अ का ऐ होता है । धेत्तूण घेत्तुआणसूत्र २.१४६ देखिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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