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प्राकृतव्याकरणे
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खचति (खिच् ) धातु को वेअड ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०वेअर ( विकल्प-पक्ष में):-खचइ ।
पचेः सोल्ल-पउलौ ॥९॥ पचतेः सोल्ल पउल इत्यादेशौ वा भवतः । सोल्लइ । पउलइ। पयइ।
पचति ( /पच् ) धातु को सोल्ल और पउल ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं । उदा.-सोल्लइ, पउलइ । ( विकल्प पक्ष में ) :--पयइ।। मुचेश्छडडावहेड-मेल्लोस्सिक्क-रेअव-णिल्लुञ्छ-धंसाडाः ॥११॥
मुश्चतेरेते सप्तादेशा वा भवन्ति । छड्डइ । अवहेडइ । मेल्लइ । उस्सिक्कइ। रेअवइ । णिल्लुन्छइ । धंसाडइ । पक्षे। मुअइ।।
मुञ्चति (/मुच् ) धातु को ( छड्डु, अवहेड, मेल्ल, उस्सिक्क, रेअव, जिल्लुन्छ और धंसाड ऐसे ) ये सात आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-छड्डइ... .."घंसार। (विकल्प-) पक्ष में :- मुअइ ।
दुःखे णिव्वलः ॥ ९२॥ दुःखविषयस्य मुचेः णिव्वल इत्यादेशो वा भवति । णिव्वलेइ । दुःखं मुश्चतीत्यर्थः ।
दुःख-विषयक मुच् ( मुचि ) धातु को णिव्वल ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा० --णिव्वलेइ ( यानी ) दुःख का | दुःख से त्याग करता है ऐसा अर्थ है।
वञ्चेर्वेहव-वेलव-जूरवोमच्छाः ।। ९३ ।। वश्चतेरेते चत्वार आदेशा वा भवन्ति । वेहवई। वेलवइ। जूरवइ । उमच्छइ । वश्चइ।
वञ्चति (वि) धातु को ( वेहव, वेलब, जूरव, और उमच्छा ऐसे ) ये चार आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.-वेहवइ... .."उमच्छइ । ( विकल्प पक्ष में ):-वच।
रचेरुग्गहावह-विडविड्डाः ॥१४॥ रचेर्धातोरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति । उग्गहइ। अवहई। विडविड्डइ । रमइ।
रच् ( रचि ) धातु को ( उग्गह, अवह, विडविड ऐसे ) ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-उग्गहइ... .."विडविड्डइ । ( विकल्प पक्ष में):-रमइ ।
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