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चतुर्थः पादः
भञ्ज ( भजि ) धातु को ( वेमय, मुसुमूर, मूर, सूर, सूड, विर, पविरल, करा और नीरज ऐसे ) ये नौ आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-वेमयइ....... नीराइ । ( विकल्प पक्ष में :-) भाइ ।।
अनुव्रजेः पडिअग्गः ॥ १०७ ।। अनुव्रजेः पडिअग्ग इत्यादेशो वा भवति । पडिअग्गइ । अणुवच्चइ ।
अनुव्रज् ( अनुजि ) धात को पहिअग्ग ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०-पडिअग्गइ । ( विकल्प पक्ष में ):-अणुवञ्चइ ।
अर्जेविंढवः ॥ १०८ ॥ अर्जेबिढव इत्यादेशो वा भवति । विढवइ । अज्जइ।
अर्ज ( अजि ) धातु को विढव ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०विढवइ । (विकल्प-पक्ष में):--अज्जइ ।
मुजो जुञ्ज-जुज-जुप्पाः ॥ १०९॥ मुजो जुञ्ज जुज्ज जुप्प इत्यादेशा भवन्ति । जुइ । जुज्जइ । जुप्पइ ।
मुज् धातु को जुञ्ज, जुज्ज और जुप्प ऐसे आदेश होते हैं। उदा.--जुञ्जइ... .. जुप्पइ ।
भुजो भुञ्ज-जिम-जेम-कम्मागह-चमढ-समाण-चड्डाः ॥११०॥
भुज एतेष्टादेशा भवन्ति । भुलइ। जिमइ । जेमइ। कम्भेइ । अण्हइ । समाणइ । चमढइ । चड्डइ।
भुज् धातु को भुञ्ज, जिम, जेम, कम्माण्ह, चमढ, समाण और चड्ड ये आठ आदेश होते हैं । उदा०-भुञ्जइ.. "चडुइ ।
वोपेन कम्भवः ॥ १११ ॥ उपेन युक्तस्य भुजेः कम्भव इत्यादेशो वा भवति । कम्भवइ । उवहुआइ ।
उप ( इस उपसर्ग ) से युक्त होने वाले मुज् ( भुजि ) धातु को कम्भव ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा.-कम्भवइ । (विकल्प-पक्ष में :-) उवहुञ्जइ।
घटेगढः ॥ ११२ ॥ घटतेर्गढ इत्यादेशो वा भवति । गढइ । धडइ।
घटति (Vघट्) धातु को गढ ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा.-गढइ । (विकल्प-पक्ष में):-घडइ । Jain Education International
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