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चतुर्थः पादः
णास, णिवह, अवसेह और अवहर ऐसे ये. इक्कीस आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.- ... .. अवहरइ । ( विकल्प-- ) पक्ष में :-गच्छइ । परन्तु णिहम्मद, मोहम्मइ, आहम्मइ, और पहम्मद ऐसे ये रूप तो 'हम्म गतो' ( में कहे हुए हम्म् ) धातु के होंगे।
आङा अहिपच्चुअः ।। १६३ ॥ आङा सहितस्य गमेः अहिपच्चुअ इत्यादेशो वा भवति । अहिपच्चुअई। पक्षे। आगच्छद।
बा ( उपसर्ग ) से सहित होने वाले गम् धातु को अहि पच्चु अ ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा.---अहिपच्चुअइ। ( विकल्प-) पक्ष में :-आग
समा अभिडः ॥ १६४ ॥ समा युक्तस्य गमेः अभिड इत्यादेशो वा भवति । अब्भिडई । संग
सम् ( उपसर्ग ) से युक्त होने काले गम् धातु को अम्भित ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०-- अमिडइ । ( विकल्प-पक्ष में ):-संगच्छइ ।
अभ्याङोम्मत्थः । १६५ ।। अभ्याङ्भ्यां युक्तस्य गमेः उम्मत्थ इत्यादेशो वा भवति । उम्मत्थइ । अब्भागच्छइ । अभिमुख मागच्छतीत्यर्थः ।
अभि और आ ( इन दो उपसर्गों ) से युक्त होने वाले गम् धातु को उम्मत्थ ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०-उम्मथइ। ( विकल्प-पक्ष में ): -अन्भागन्छ । ( यानी ) अभिमुखं मागच्छति, ऐसा अर्थ है ।
प्रत्याङा पलोट्टः।। १६६॥ प्रत्याभ्यां युक्तस्य गमेः पलोट्ट इत्यादेशो वा भवति । पलोट्टई । पच्चागच्छ।
प्रति और आ ( इन उपसर्गों ) से युक्त होने वाले गम् धातु को पल्लोट्ट ऐसा भादेश विकल्प से होता है । उदा०-पलोट्टइ । ( विकल्प-पक्ष में ) :-पच्चाग
शमेः पडिसा-परिसामौ ॥ १६७ ।। शमेरेतावादेशौ वा भवतः । पडिसाइ । परिसामइ । समइ।
शम् धातु को पडिसा और परिसाम ये आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.पडिसाइ, परिसामइ । ( विकल्प-पक्ष में ) :-समइ ।
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