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प्राकृतव्याकरण- प्रथमपाद
१·१८६ फलिहो - ट् के लू के लिए सूत्र १.१९७ देखिए ।
१·१८७ वर के अगले अनादि असंयुक्त खु ध् थ् ध् म् इनका प्रायः ह होता है, यह वर्ण विकार का एक महत्त्वपूर्ण नियम है । मुहं - हिंदी में मुह । मिहुणं - मराठी में मेहुण | बहिरो - मराठी में बहिरा, बहिर (ट) | हिंदी में बहरा ।
३३१.
१-१८८ डॉ० प० ल० वैद्य जो के मतानुसार, यह सूत्र १०१०८ के बाद आना चाहिए था । ( कारण तब १२०४ २०८ सूत्रों में कहे गए न के विकारों के अनन्तर प्रस्तुत का थ विकार आया होता ) । परन्तु हेमचन्द्र ने ऐसा किया दिखाइ देता है:सूत्र १-१८७ में थ का एक विकार कहा, उससे भिन्न ऐसा थ का विकार तुरंत प्रस्तुत सूत्र में कहा । ऐसा ही प्रकार हेमचन्द्र ने ख के बारे में सूत्र १०१८९ में किया है ।
१·१८६ संकलं--शृङ्खल शब्द में ङ्ख संयुक्त व्यञ्जन होने से, सूत्र १९१८७ के अनुसार यहां ख का ह नहीं होता है ।
- १·१६० पुन्नामाइँ - इस रूप के लिए सूत्र ३० २६ देखिए ।
१·१९१ छालो - यह पुल्लिंगी रूप है । छाली - यह स्त्रीलिंगी रूप है ।
१-१२ दूहवो -- दुभंग शब्द में, सूत्र १ ११५ के अनुसार रेफ का लोप होकर, पिच्छला ह्रस्व उ स्वर दीर्घ ऊ होकर, दूभग शब्द बनता है । अब प्रस्तुत सूत्रानुसार, ग का व होकर दूहव वर्णान्तर होता हैं । दूहव शब्द के साम्याभास से, सुभग शब्द के बारे में भी ऐसा ही प्रकार होकर, सूहव वर्णान्तर होता है; ऐसा दिखाई देता है । ११६३ पिसल्लो --- मराठी में पिसाल ।
१·१६५ स्वर के अगले अनादि असंयुक्त ट का ड होता है, यह एक महत्त्वपूर्ण वर्णान्तर है | घडोघडइ - मराठी में धडा, धरण |
११९८ ण्यन्ते च पटिधातौ -- ये शब्द सूत्र में से पार्टी शब्द का अनुवाद करते हैं । धातु के प्रेरक / प्रयोजश रूप में, ऐसा उनका अर्थ है ।
यन्त--संस्कृत में णि ( णिच् ) प्रत्यय धातु को जोड़कर प्रेरक धातु का रूप साधा जाता है । इसलिए ण्यत्त यानी प्रेरक प्रत्ययान्त धातु ) । कालेइ फाडेइ-हेमचन्द्र के मतानुसार, ये शब्द पाटयति शब्द के वर्णान्तर हैं । तथापि डॉ० वैद्य जी के मतानुसार, ये वर्णान्तर स्फाल और स्फट् धातुओं के प्रेरक रूपों से साधे गए हैं । फाडे - मराठी में फाडणे | हिंदी में फाड़ना ।,
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१·११६ स्वर के अगले अनादि असंयुक्त ठ का ढ होता है । कुढारो - मराठी में कुण्हाउ । पढइ - हिंदी में पढना । मराठी में पढणे | चिट्ठइ ठाइ - चिट्ठ और ठा स्था धातु के आदेश है ( सूत्र ४१६ देखिए ) ।
१·२०२स्वर के अगले अगादि असंयुक्त ड का ल होता है । गुलो-मराठी में गूल
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