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________________ प्राकृतव्याकरणे २०१ खचति (खिच् ) धातु को वेअड ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०वेअर ( विकल्प-पक्ष में):-खचइ । पचेः सोल्ल-पउलौ ॥९॥ पचतेः सोल्ल पउल इत्यादेशौ वा भवतः । सोल्लइ । पउलइ। पयइ। पचति ( /पच् ) धातु को सोल्ल और पउल ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं । उदा.-सोल्लइ, पउलइ । ( विकल्प पक्ष में ) :--पयइ।। मुचेश्छडडावहेड-मेल्लोस्सिक्क-रेअव-णिल्लुञ्छ-धंसाडाः ॥११॥ मुश्चतेरेते सप्तादेशा वा भवन्ति । छड्डइ । अवहेडइ । मेल्लइ । उस्सिक्कइ। रेअवइ । णिल्लुन्छइ । धंसाडइ । पक्षे। मुअइ।। मुञ्चति (/मुच् ) धातु को ( छड्डु, अवहेड, मेल्ल, उस्सिक्क, रेअव, जिल्लुन्छ और धंसाड ऐसे ) ये सात आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-छड्डइ... .."घंसार। (विकल्प-) पक्ष में :- मुअइ । दुःखे णिव्वलः ॥ ९२॥ दुःखविषयस्य मुचेः णिव्वल इत्यादेशो वा भवति । णिव्वलेइ । दुःखं मुश्चतीत्यर्थः । दुःख-विषयक मुच् ( मुचि ) धातु को णिव्वल ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा० --णिव्वलेइ ( यानी ) दुःख का | दुःख से त्याग करता है ऐसा अर्थ है। वञ्चेर्वेहव-वेलव-जूरवोमच्छाः ।। ९३ ।। वश्चतेरेते चत्वार आदेशा वा भवन्ति । वेहवई। वेलवइ। जूरवइ । उमच्छइ । वश्चइ। वञ्चति (वि) धातु को ( वेहव, वेलब, जूरव, और उमच्छा ऐसे ) ये चार आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.-वेहवइ... .."उमच्छइ । ( विकल्प पक्ष में ):-वच। रचेरुग्गहावह-विडविड्डाः ॥१४॥ रचेर्धातोरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति । उग्गहइ। अवहई। विडविड्डइ । रमइ। रच् ( रचि ) धातु को ( उग्गह, अवह, विडविड ऐसे ) ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-उग्गहइ... .."विडविड्डइ । ( विकल्प पक्ष में):-रमइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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