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________________ चतुर्थः पादः प्रहगेः सारः॥ ८४॥ प्रहरतेः सार इत्यादेशो वा भवति । सारइ । पहरइ । प्रहरति (/प्र + ह) धातु को सार ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०सार । ( विकल्प-पक्ष में ):-पहरइ । अवतरेरोह-ओरसौ ॥ ८५॥ अवतरतेः ओह ओरस इत्यादेशौ वा भवतः । ओहइ। ओरसइ । ओअरइ । __अवतरति ( अव+त) धातु को ओह और ओरस ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं । ओहइ, ओरसइ । ( विकल्प पक्ष में ) :-ओअरइ । शकेश्चय-तर-तीर-पाराः ॥ ८६ ॥ शक्नोतेरेते चत्वार आदेशा वा भवन्ति । चयई । तरइ । तीरइ । पारइ । सक्कइ। त्यजतेरपि चयइ। हानि करोति । तरतेरपि तरइ। तीरयतेरपि तीरइ। पारयतेरपि पारेई । कम समाप्नोति । शक्नोति ( 1/शक् ) धातु को ( चय, तर, तीर, और पार ऐसे ) ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-चयइ . ..'पारइ । ( विकल्प-पक्ष में ):-सक्कई । त्यति ( Vत्यज् ) धातु से भी चयइ ( यह रूप होता है); ( त्यजति यानी) हानि करोति (= त्याग करता है, ऐसा अर्थ है)। तरति (Vत) धात से भी तरइ ( ऐसा रूप होता है)। तीरयति (Vतीर् )धात से भी तीरइ ( पह रूप होता है । पारयति ( 14 ) धातु से भी पारेइ ( रूप होता है )। (पारेइ यानी ) कर्म समाप्नोति ( = कर्म पूर्ण करता हैं, ऐसा अर्थ होता है)। फक्कस्थक्कः ॥ ८७॥ फक्कतेस्थक्क इत्यादेशो भवति । थक्कइ । फक्कति ( Vफक ) धात को थक्क आदेश होता है । उदा.-थक्कइ । श्लाघः सखहः ॥ ८८ ॥ श्लाघतेः सह इत्यादेशो भवति । सलहइ । फ्लापति ( Vश्लाथ् ) धातु को सलह आदेश होता है । उदा०-सलहइ । खचेर्वेअडः ॥ ८९॥ खचतेर्वेअड इत्यादेशो वा भवति । वेअडइ। खचइ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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