________________
प्राकृतव्याकरणे
उतो मुकुलादिष्वत् ॥ १०७ ॥
•
मुकुल इत्येव मादिषु शब्देषु आदे रुतोत्वं भवति । मउलं मउलो । मउरं । मउडं | अगरु । गहई । जहुट्ठलो जहिट्ठिलो । सोअमल्लं । गलोई । मुकुल | मुकुर । मुकुट । अगुरु । गुर्वीं । युधिष्ठिर । सौकुमार्य । गुडूची । इति मुकुलादयः । क्वचिदावपि । विद्रुतः विद्दाओ ।
मुकुल इत्यादि प्रकार के शब्दों में, आदि उ का अ होता है । उदा - मउलं... गलोई | ( इनके मूल संस्कृत शब्द ऐसे - ) मुकुल गुडूची । ऐसे ये मुकुल इत्यादि शब्द होते हैं । क्वचित् ( उ का) आकार ( आ ) भी होता है । उदा० - विद्रुतः विद्दाओ । वोपरौ ॥ १०८ ॥
उपरावृतोद् वा भवति । अवर उवरि ।
'उपरि' शब्द में उ का अ विकल्प से होता है । उदा० - अवर, उबार ।
गुरौ के वा ॥ गुरौ स्वार्थे के सति आदेरुतोद् वा किम् । गुरू ।
गुरु शब्द में, आगे स्वार्थी के प्रत्यय होने पर, आदि उ का विकल्प से अ होता है । उदा० - गरुओ, गुरुओ । ( आगे स्वार्थी ) क प्रत्यय आने पर है ? ( कारण स्वार्थी क प्रत्यय आगे न होने पर, उ का अ ) गुरू ।
ऐसा क्यों कहा नहीं होता है ।
उदा०
३ प्रा० व्या०
❤
कुटावादेरुत इर्भवति । भिउडी ।
ब्रुकुटि शब्द में आदि उ का इ होता है । उदा० - भिउडी । पुरुषे रोः ।। १११ ॥
पुरुषशब्दे रोरुन इर्भवनि । पुरिसो । 'उरिमं ।
पुरुष शब्द से रु में से उ का इ होता है । उदा० - पुरिसो, परिसं । ईः क्षुते ।। ११२ ।।
Jain Education International
१०६ ॥
भवति । गरुओ गुरुओ । क इति
।। ११० ।।
क्षुतशब्दे आदेरु ईत्वं भवति । छीअं ।
1
क्षत शब्द में आदि उ का ई होता है । उदा० - ठीअं ।
१. पौरुष ।
३३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org