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प्राकृतव्याकरणे
(अकारान्त धात के ) आगे क्त प्रत्यय ) होने पर, (धात में से अन्त्य ) अ का इ होता है। उदा.-हसि..... "पाढिअं। गर्य और नयं ये रूप मात्र ( संस्कृत में से गत और मत इन ) सिद्धावस्था की । रूपों की ) अपेक्षा से हैं। (अन्त्य) अ का ही ( इ होता है; अन्य अन्त्य स्वरों का इ नहीं होता है । उदा०-) झायं..."हुआ।
एच्च क्त्वातुम्तव्यभविष्यत्सु ॥ १५७ ॥ __ क्त्वातुम्तव्येषु भविष्यत्कालविहिते च प्रत्यये परतोत एकारश्चकारादिकारश्च भवति । क्त्वा । हसेऊण । हसिऊण । तुम् । हसेउं हसिउं । तव्य । हसेअव्वं हसिअव्वं । भविष्यत् । हसेहिइ हसिहिइ अत इन्येव । काऊण ।
( अकारान्त धातु के ) आगे क्त्वा, तुम् और तव्य ( ये प्रत्यय ) तथैव भविष्य काल का ऐसा कहा हुआ प्रत्यय, ( आगे ) होने पर (धातु में से अन्त्य ) अ का एकार, और ( सत्र में से ) चकार के कारण, इकार होता है। उदा०-क्या ( प्रत्यय आगे होने पर ):--हसे ऊग, हसिऊण । तुम् (प्रत्यय आगे होने पर ) हसे उं, हसिउं। तव्य ( प्रत्यय आगे होने पर):-हसेअन्वं, हसिअम्वं । भविष्यकाल का प्रत्यय ( आगे होने पर ):-हसेहिइ, हसिहिइ । ( अन्त्य ) अ के ही ( इ और ए होते हैं; अन्य अन्त्य स्वरों के इ और ए नहीं होते हैं । उदा.--)
काऊग।
वर्तमानापञ्चमीशतृषु वा ॥ १५८ ॥ वर्तमानापञ्चमीशतृषु परत अकारस्य स्थाने एकारो वा भवति । वर्तमाना। हसेइ हसइ। हसेम हसिम । हसेमु हसिमु । पञ्चमी । हसेउ हसउ । 'सुणेउ सुणउ । शतृ । हसेन्तो हसन्तो। क्वचिन्न भवति । जयइ। क्वचिदात्वमपि । 'सुणाउ।
वर्तमान काल के प्रत्यय, आज्ञार्थ के प्रत्यय, और शतृ ( यह ) प्रत्यय आगे होने पर, ( धातु के अन्त्य ) अकार के स्थान पर एकार विकल्प से होता है। उदा० -वर्तमान काल के प्रत्यय ( आगे होने पर ):-हसेह... .."हसिमु । आज्ञार्थ के प्रत्यय ( आगे होने पर ) : --हसे उ... ..."सुण उ । शतृ प्रत्यय ( आगे होने पर ):--हसेन्तो, हसन्तो । क्वचित् ( अन्त्य अ का ए) नहीं होता है। उदा.-- जयऽ । क्वचित् ( अन्त्य अ का ) आ भी होता है । उदा-सुणाउ ।
जा ज्जे ॥।॥ १५९ ।। ज्जा ज्ज इत्यादेशयोः परयोरकारस्य एकारो भवति। हसेज्जा हसेज्ज । अत इत्येव । होज्जा होज्ज । १. Vश्रु ।
२. Vजि
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