________________
१९८
चतुर्थः पादः
चाटौ गुललः ॥ ७३ ॥ चाटुविषयस्य कृगो गुलल इत्यादेशो वा भवति । गुललइ । चाटु करोतीत्यर्थः।
चाटु-विषयक कृ धातु को गुलल ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा.-. गुललइ ( यानी ) चाटु करोति ( = चाटु | मधुर वोलता है ) ऐसा अर्थ है ।
स्मरेझर-झूर-भर-भल-लढ-विम्हर-सुमर-पपर-पम्हुहाः ॥ ७४ ॥
स्मरेरेते नवादेशा वा भवन्ति । झरइ । झूरइ। भरइ । भलइ । लढइ । विम्हरइ । सुमरइ । पयरइ । पम्हहइ । सरइ ।
स्मृ ( स्मरि ) धातु को ( झर, झूर, भर, भल, लढ, विम्हर, सुमर, पयर, और पम्हुह ऐसे ) ये नौ आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-झरइ... .''पम्हुहइ । (विकल्प पक्ष में :-) सरइ ।
विस्मुः पम्हुस-विम्हर-वीसराः ॥ ७५ ॥ विस्मरतेरेते आदेशा भवन्ति । पम्हुसइ । विम्हरइ । वीसरइ ।
विस्मृ ( विस्मरति ) धातु को ( पम्हुस, विम्हर और वीसर ऐसे ) ये आदेश होते हैं । उदा०-पम्हसइ" ''वीसरइ।
व्याहगेः कोक्क-पोक्कौ ॥ ७६ ॥ व्याहरतेरेतावादेशौ वा भवतः । कोक्कइ । ह्रस्वत्वे तु कुक्कइ । पोक्कइ । पक्षे । वाहरइ ।
ब्याह ( व्याहरति ) धातु को ( कोक्क और पोक्क ) ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-कोक्कइ; ( कोक्कइ में से ओ स्वर ) ह्रस्व होने पर, कुक्काइ (ऐसा रूप होगा ); पोक्कई । ( विकल्प-) पक्ष में :-वाहरइ ।
प्रसरेः पयल्लोवेल्लौ ॥ ७७॥ प्रसरतेः पयल्ल उवेल्ल इत्येतावादेशौ वा भवतः। पयल्लइ । उवेल्लइ । पसरइ।
प्रसृ ( प्रसरति ) धातु को पयल्ल और उबेल्ल ऐसे ये आदेश विकल्प से होते हैं । उदा.-पपल्लइ, उवेल्लइ । ( विकल्प पक्ष में :- पसरइ ।
महमहो गन्धे ॥ ७८ ।। १. मालती।
२. मालतीगन्ध : प्रसरति ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org