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प्राकृतव्याकरणे
श्रमे वावम्फः ॥ ६८ ॥
श्रमविषयस्य कृंगो वावम्फ इत्यादेशो वा भवति । वावम्फइ । श्रमं
करोति ।
श्रमविषयक कृ धातु को वावम्फ ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०बावम्फर ( यानी ) श्रमं करोति ( ऐसा अर्थ है ) ।
मन्युनौष्ठमालिन्ये णिब्बोलः ॥ ६९ ॥
मन्युना करणेन यदोष्ठमालिन्यं तद् विषयस्य कृगो णिव्वोल इत्यादेशो वा भवति । णिव्वोलह । मन्युना ओष्ठं मलिनं करोति ।
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क्रोध के कारण से ( आने वाला ) जो होठों का मालिन्य वह विषय होने वाले कृ धातु को णिब्वोल ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा० - णिव्वोलइ ( यानी ) क्रोध से होंठ मलिन करता है ( ऐसा अर्थ है ) ।
शैथिल्य - लम्बने पयल्लः ॥ ७० ॥
शैथिल्य विषयस्य लम्बनविषयस्य चं कृगः पयल्ल इत्यादेशो वा भवति । पल्लइ । शिथिली भवति लम्बते वा !
ffect विषयक तथा लम्बन विषयक कृ धातु को पयल्ल ऐसा आदेश विकल्प से होता है | उदा - पयल्लइ ( यानी ) शिथिल होता है अथवा टंगता है । टंगा रहता है ( ऐसा अर्थ है ) ।
निष्पाताच्छोटे नीलञ्छः ॥ ७१ ॥
निष्पतनविषयस्य आच्छोटनविषयस्य च कृगो णीलुञ्छ इत्यादेशो भवति वा । णीलुन्छइ । निष्पतति आच्छोटयति वा ।
frogar-विषयक और आच्छोटन विषयक कृ धातु को णीहुञ्छ ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा० - णोलुञ्छइ यानी ) निष्पतति ( = बाहर जाता है ) अथवा आच्छोर्यात ( = भेदन कराता है ) ( ऐसा अर्थ है ) |
क्षुर - विषयक कृ धातु को कम्मइ (यानी, क्षुरं करोति (
क्षुरे कम्मः ॥ ७२ ॥
क्षुर - विषयस्य कृगः कम्म इत्यादेशो वा भवति । कम्मइ । क्षुरं करोतीत्यर्थः ।
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कम्म ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा० = क्षुर करता है ) ऐसा अर्थ है ।
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