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प्राकृतव्याकरणे
१४.
आदेश विकल्प से होता है । उदा०-कस्या...''धणं । ( विकल्प - ) पक्ष में :काए; ताए।
ईद्भ्यः स्सा से ॥ ६४ ॥ किमादिभ्यः ईदन्तेभ्यः परस्य सः स्थाने स्सा से इत्यादेशौ वा भवतः । टा-ङस्-डेरदादिदेवा तु इसेः ( ३.२६) इत्यस्यापवादः । पक्षे अदादयोपि । किस्सा कीसे की कीआ कीइ कीए । जिस्सा जीसे जोअ जीआ जीइ जीए । तिस्सा तोसे तीअ तीआ तीइ तीए।
ईकारान्त (स्त्रीलिंगी ) किम् इत्यादि ( यानी किम्, यद्, और तद् इन) सर्वनामों के आगे उस (प्रत्यय ) के स्थान पर स्सा और से ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं। 'टाङस्' .."उसेः' सूत्र में ( कहे हए ) नियम का अपवाद ( प्रस्तुत नियम ) है। ( विकल्प-) पक्ष में ( उस ३.२९ सूत्रानुसार ) अ, इत्यादि भी होते हैं । उदा० ---किस्सा... .."तीए ।
डोहे डाला इआ काले ॥ ६५ ॥ कियत्तद्भयः कालेभिधेये डे: स्थाने आहे आला इति डितौ इआ इति च आदेशा वा भवन्ति । हिस्तिम्मि त्थानामपवादः । पक्षे तेपि भवन्ति । काहे काला कइआ। जाहे जाला जइआ। ताहे ताला तइआ। ताला' जाअन्ति गुणा जाला ते सहि अए हिँ घेप्पन्ति ॥ १॥ पक्षे। कहिं कस्सि कम्मि कत्थ।
समय कहने के बक्त, किम, यद् और तद् इन ( सर्वनामों ) के आगे बाने वाले ङि ( प्रत्यय ) के स्थान पर आहे और आला ऐसे ( ये दो ) डित् ( आदेश ), और इआ ऐसा आदेश, विकल्प से होता है : ( कि प्रत्यय को) हि, स्सि, म्मि, मोर स्थ ऐसे आदेश होते हैं (सूत्र ३.५९-६० देखिए ) इस नियम का अपवाद प्रस्तुत नियम है । ( विकल्प-) पक्ष में वे भी ( यानी हिं, स्सि, म्मि, और त्थ भौ) होते हैं। उदा०-काहे... .''तइआ; ताला... ."घेप्पन्ति; ( विकल्प-) पक्ष में :-- कहिं कत्थ ।
ङसेम्हा ॥ ६६॥ किंयत्तद्भधः परस्य ङसेः स्थाने म्हा इत्यादेशो वा भवति । कम्हा । जम्हा । तम्हा । पक्षे । काओ । जाओ। ताओ।
किम्, यद्, और तद् इन ( सर्वनामों ) के आगे आने वाले सि (प्रत्यय ) १. तदा जायन्ते गुणाः यदा ते सहृदयः गृह्यन्ते ॥ १॥
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