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तृतीयः पादः तइ-तुव-तुम-तुह-तुम्भा ङसौ ॥ ९६ ॥ युष्मदो डसौ पञ्चम्येकवचने परत एते पश्चादेशा भवन्ति । ङसेस्तु त्तोदो-दु-हि-हिन्तो-लुको यथाप्राप्तमेव । तइत्तो तुवत्तो तुमत्तो तहत्तो तुब्भत्तो। ब्भो म्हज्झौ वेति वचनात् तुम्हत्तो तुज्झत्तो। एवं दो-दु-हि-हिंतो-लुक्ष्वप्युदाहार्यम् । तत्तो इति तु त्वत्त इत्यस्य वलोपे सति ।
पंचमी एक वचन का सि प्रत्यय आगे होने पर, युष्मद् ( सर्वनाम ) को तइ, तुष, तुम, तुह, और तुब्भ ( ऐसे ) ये पांच आदेश होते हैं। ङसि को तो तो, दो दु, हि, हितो, और लुक ( सूत्र ३.८ देखिए ) ये आदेश हमेशा की तरह प्राप्त होते ही हैं। उदा०-तइत्तो... ..तुब्भत्तो; 'भो म्हज्झो वा' वचन के अनुसार तुम्हत्तो मोर तुज्झत्तो। इसी प्रकार, दो दु, हि, हितो और लोप इनके बारे में उदाहरण ले। 'तत्तो' यह रूप मात्र (संस्कृत में से ) त्वत्तः ( इस रूप ) में से व् का लोप होकर बना है।
तुय्ह तुब्भ तहिंतो ङसिना ॥ ९७॥ युष्मदो ङसिना सहितस्य एते त्रय आदेशा भवन्ति । तुम्ह तुत्भ तहितो आगओ । ब्भो म्हज्झौ वेति वचनात् तुम्ह तुज्झ । एवं च पञ्च रूपाणि ।
ङसि ( प्रत्यय ) के सह युष्मद् ( सर्वनाम ) को तुम्ह, तुब्भ, और तहितो ( ऐसे ) ये तीन आदेश होते हैं। उदा०-तुम्ह.. ..'आगो । 'भो म्ह
झो वा' वचन के अनुसार तुम्ह, तुज्झ । और इसी प्रकार (कुल) पांच रूप होते हैं।
तुब्भतुरहो रहो म्हा भ्यसि ॥ ९८ ॥ युष्मदो भ्यसि परत एते चत्वार आदेशा भवन्ति । भ्यसस्तु यथाप्राप्तमेव । तुब्भत्तो तुम्हत्तो उव्हत्तो। उम्हत्तो ब्भो म्ह-ज्झौ वेति वचनात् । तम्हत्तो तुज्झत्तो । एवं दो-दु-हि-हिंतो-सुन्तोष्वप्युदाहायम्।। ___भ्यस् ( प्रत्यय ) आगे होने पर, युष्मद् ( सर्वनाम ) को तुब्भ, तुम्ह, उयह और उम्ह ( ऐसे ) ये चार आदेश होते हैं । भ्यस् ( प्रत्यय ) के आदेश सूत्र ३.९ देखिए ) हमेशा की तरह होते हा हैं। उदा-सुम्भत्तो'.. ... | 'भो म्हज्झौ वा' वचन के अनुसार, तुम्हत्तो, तुज्झत्तो। इसी प्रकार, दो, इ, हि हितो और सुंतो (प्रत्ययों) के बारे में उदाहरण लें ।
तुम
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