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प्रथमः पादः
होता है; उदा०--वसई; भरहो....'माहुलिंगं । परंतु मातुलंग शब्द का वर्णान्तर मात्र माउलुंगं होता है।
मेथिशिथिरशिथिलप्रथमे थस्य ढः ॥ २१५ ॥ एषु थस्य ढो भवति । हापबादः । मेढी। सिढिलो । सिढिलो। पढमो।
मेथि, शिथिर, शिथिल और प्रथम शब्दों में थ का ढ होता है । ( थ का ) ह होता है ( सूत्र १.१८७ ) इस नियम का प्रस्तुत नियम अपवाद है । उदा०-- मेढी...... पढमो।
निशीथ-पृथिव्योर्वा ॥ २१६ ॥ अनयोस्थस्य ढो वा भवति । निसीढो निसीहो । पुढबी पुहवी।
निशीथ और पृथिवी इन दो शब्दों में थ का ढ विकल्प से होता है। उदा-- निसीढो' 'पुहवी। दशनदष्टदग्धदोलादण्डदरदाहदम्भदर्भकदनदोहदे दो वा डः ॥२१७।।
एष दम्य डो वा भवति । डसणं दसणं। डट्ठो दट्ठो। डड्ढो दड्ढो । डोला दोला। डंडो दंडो। डरो दरो। डाहो दाहो। डम्भो दम्भो। ढब्भो दब्भो । कडणं कयणं । डोहलो दोहलो । दरशब्दस्य च भयार्थवृत्तेरेव भवति । अन्यत्र 'दरदलिअ ।
दशन, दष्ट, दग्ध, दोला, दण्ड, दर, दाह, दम्भ, दर्भ, कदन, और दोहद शब्दों में द का ड विकल्प से होता है। उदा०-डसणं. 'दोहलो । दर शब्द भय अर्थ में होने पर ही ( द का ड ) होता है; ( वैसा अर्थ न होने पर ) अन्य स्थानों में (दर ऐसा ही वर्णान्तर होता है । उदा०-) दरदलिअ ।
दंशदहोः ।। २१८॥ अनयोर्धात्वोर्दस्य डो भवति । डसइ२ । डहइ । दंश् और दह, धातुओं में द का ड होता है । उदा०--हसइ, डहइ ।
संख्यागद्गदे रः ॥ २१६ ॥ संख्यावाचिनि गद्गदशब्दे च दस्य रो भवति । एआरहरे । बारह । तेरह । गग्गरं । अनादेरित्येव । ते दस । असंयुक्तस्येत्येव । चउद्दह ।
संख्यावाचक शब्दों में और गद्गद शब्द में, द का र होता है। उदा.१. दरदलित। २. क्रमसे---दशति । दहइ । ३. क्रमसे----एकादश । द्वादश । चयोदश । गद्गद । ४. ते दश ।
५. चतुर्दश ।
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