________________
प्राकृतव्याकरण
१३९
क्विपः ॥ ४३ ॥ क्विबन्तस्येदूदन्तस्य ह्रस्वो भवति । गामणिणा खलपुणा। गामणिणो खलपुणो ।
क्विप् प्रत्यय से अन्त होने वाले ईकारान्त और ऊकारान्त संज्ञाओं का ( अन्त्य स्वर विभक्ति प्रत्यय आगे होने पर) ह्रस्व हो जाता है । उदा०-गामणिणा 'खलपुणो
___ ऋतामुदस्यमौसु वा ॥ ४४ ॥ सि-अम्-औ-वजिते अर्थात् स्यादौ परे ऋदन्तानामुदन्तादेशो वा भवति । जस् । भत्तू भत्तुणो भत्तउ भत्तओ। पक्षे। भत्तारा' । शस् । भत्त भत्तुणो। पक्षे। भत्तारे । टा। भत्तणा। पक्षे। भत्तारेण । भिस् । भत्तहि । पक्षे । भत्तारेहिं । ङसि । भत्त णो भत्त ओ भत्तूउ भत्त हि भत्त हितो। पक्षे। भत्ताराओ भत्ताराउ भत्ताराहि भत्ताराहिंतो भत्तारा। उस । भत्तणो भत्तु स्स । पक्षे। भत्तारस्स । सुप् । भत्त सु । पक्षे। भत्तारेसु । बहुवचनस्य व्याप्त्यर्थत्वात् यथादर्शनं नाम्न्यपि उद् वा भवति जस्-शस्-डसि-ङस्सु । पिउणो जामाउणो भाउणौ। टायाम् । पिउणा । भिसि । पिऊहिं । सुपि । पिऊस । पक्षे । पिअरा इत्यादि । अस्य मौस्विति किम् । सि । पिआ। अम् । पिमरं । औ। पिअरा।
सि, अम्, और ओ ये प्रत्यम छोड़कर अर्थात् इतर विभक्ति प्रत्यय आगे होने पर, ऋकारान्त शब्दों को उत् ऐसा सन्तादेश ( यानी अन्त में उ ऐसा आदेश ) विकल्प से होता है । उदा०---जस् ( प्रत्यय आगे होने पर ):-भत्तू.. .. भत्तो ; (विकल्प- ) पक्ष में:--भत्तारा। शस् ( प्रत्यय आगे होने पर )- भत्तू, भत्तुंणो; ( विकल्प ) पक्षमें:-भत्तारे । टा ( प्रत्यय आगे होने पर ):-भत्तणा; (विकल्प-) पक्षमें:--भत्तारेण । भिस् ( प्रत्यय आगे होने पर ):-भत्तूहि; (विकल्प---) पक्षमें:भत्तारेहिं । ङसि ( प्रत्यय आगे होने पर }:--भत्तुणो..."भहितो; ( विकल्प--) पक्षमें:-भत्ताराओ...'मत्तारा । ङस् (प्रत्यय आगे होने पर ):-भत्तुणो, भत्तुस्स, (विकल्प-) पक्षमें:-भत्तारस्स । सुप (प्रत्वय आगे होने पर):-भत्त सु; (विकल्प-) पक्षमें-भतारेसु । बहुवचन व्याप्त्यर्थी ( यानी समावेशक अर्थ में ) होने से (साहित्य में ) जैसा दिखाई देगा वैसा संज्ञाओं के बारे में भी, जस् शस् ङसि और उस् प्रत्यय आगे होने पर,विकल्प से ( अन्त में ) उ आता है उदा०-( जस् और शस् प्रत्यय आगे होने पर ): --पिउणो..... भाउणो । टा (प्रत्यय आगे होने पर)-पीउणा । भिस् ( प्रत्यय आगे होने पर ).--पिऊहिं । सुप् ( प्रत्यय आगे होने पर ):१. भई।
२. क्रमसे:-पितृ जामातृ भ्रातृ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org