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प्राकृतव्याकरणे
वट्टा । धूर्त । कीर्ति । वार्ता | आवर्तन । निवर्तन । प्रवर्तन । संवर्तन | आवर्तक । निवर्तक । निर्वर्तक । प्रवर्तक । संवर्तक । वर्तिका । वार्तिक । कार्तिक । उत्कर्तित। कर्तरि । मूर्ति । मूर्तं । मुहूर्त । इत्यादि ।
धूर्त इत्यादि शब्द छोड़कर, ( अन्य शब्दों में ) र्त का ट होता है उदा -- के बट्टी.. संवट्टि । धूर्त इत्यादि शब्द छोड़कर ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण धूर्त इत्यादि शब्दोंमेर्त का ट न होते, त होता है । उदा - ) धुत्तो मुहुत्तो । बहुलका अधिकार होनेसे ( धूर्तादि शब्दों में से वार्ता शब्दका वर्णान्तर) वट्टा ( ऐसा भी होता है ) | ( धूर्तादि शब्दों के मूल संस्कृत शब्द क्रमसे ऐसे हैं :-) धूर्त मुहूर्त, इत्यादि । वृन्ते टः || ३१ ॥
वृन्ते संयुक्तस्य ण्टो भवति । वेण्टं । 'तालवेष्टं ।
वृन्त शब्द में संयुक्त व्यंजनका ण होता है । उदा --- वेण्टं, तालवेण्टं । ठोस्थिवि संस्थुले || ३२ ॥
अनयोः संयुक्तस्य ठो भवति । अट्ठी । विसंठुलं ।
अस्थि और विसंस्थुल इन दो शब्दों में संयुक्त व्यंजनका ठ होता है । उदा० अट्ठी, विसंठुलं ।
स्त्यानचतुर्थार्थे वा ॥ ३३ ॥
एषु संयुक्तस्य ठो वा भवति । ठीं थीणं । चउट्ठो चउत्थो । अट्ठो प्रयोजनम् । अत्थो धनम् ।
स्त्यान, चतुर्थ, और अर्थ इन शब्दों में संयुक्त व्यंजनका विकल्पये ट होता हैं । उदा०- -ठोणंच उत्थो; अट्ठो (यानी ) प्रयोजन, (और) अत्थो ( यानी ) धन । ष्टस्यानुष्टा संदष्टे || ३४ ॥
उष्ट्रादिवर्जिते ठस्य ठो भवति । लट्ठी । मुट्ठी । दिट्ठी । सिट्ठी । पुट्ठो । कट्ठे । सुरट्ठा। इट्ठो अणिट्ठ । अनुष्ट्र ष्टशसंदष्ट इति किम् । उट्टी । इट्टा व । संदट्टो |
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उष्ट्र इत्यादि उष्ट्र इष्टा संदष्ट- शब्द छोड़कर, ( अन्य शब्दों में ) ष्ट का ठ होता है । उदा० - लट्ठी अणिट्टं । उष्ट्र इष्टा, संदष्ट शब्द छोड़कर ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण इन शब्दों में ष्ट का ठ नहीं होता है; उसका ट्ट होता है । उदा० ) उट्टो... दो ।
१. तालवृन्त ।
२. क्रम से :-ष्टि । मुष्टि । दृष्टि । सृष्टि । पृष्ट । कष्ट । सुराष्ट्र | इष्ट । अनिष्ट |
३. इष्टाचूर्णं इव ।
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