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प्राकृसम्याकरणे
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पर अ इत्यादि आदेश आते हैं ) ऐसा क्यो कहा है ? ( कारण से प्रत्यय न हो, तो ऐसे आदेश नहीं होते हैं । उदा०-- ) मुद्धा...''वहू ।
नात आत् ॥ ३० ॥ स्त्रियां वर्तमानादादन्तान्नाम्नः परेषां टा-स्-डि-ङसीनामादादेशो न भवति । मालाअ मालाइ मालाए कयं सहं ठिअं आगओ वा । ___स्त्रीलिंग में होने वाली आकारान्त संज्ञा के आगे आनेवाले टा, ङस्, ङि, और ङसि इन प्रत्ययों को आ ऐसा आदेश नहीं होता है। उदा०-मालाअ''आगओ वा।
प्रत्यये ङीन वा ।। ३१॥ .. . उणादिसूत्रेण ( हे० २४) प्रत्ययनिमित्तो यो ङीरुक्तः सः स्त्रियां वर्तमानानाम्नो वा भवति । 'साहणी । कुरुचरी । पक्षे। आत् (हे० २.४) इत्याप्। साहणा' | कुरुचरा ।
'अणादि' सूत्र से प्रत्यय के निमित्त से ( यानी प्रत्यय के स्वरूप में ) जो डी ( = ई ) प्रत्यय कहा हुआ है, वह स्त्रीलिंग में होने वाली संज्ञाओं को विकल्प से लगता है । उदा० - साहणी; कुरुचरी । (विकल्प-) पक्षमें -'आत्' सूत्र के अनुसार ( कहा हुआ ) आप् प्रत्यय लगता है । उदा०-साहणा, कुरुचरा।
अजातेः पुंसः ।। ३२ ॥ अजातिवाचिनः पुल्लिङ्गाद् स्त्रियां वर्तमानाद् ङीर्वा भवति। नीली' नीला। काली काला। हसमाणी हसमाणा। सुप्पणही सुप्पणहा। इमीए इमाए। इमीणं इमाणं । एईए एआए। एईणं एआणं। अजातेरिति किम् । करिणी । अया। एलया । अप्राप्ते विभाषेयम् । तेन गोरी कूमारी इत्यादौ संस्कृतवन्नित्यमेव डीः ।
अजातिवाचक पुल्लिगी शब्दों से स्त्रीलिंग में आने वाले (= होने वाले) शब्दों के आगे ई ( डी ) प्रत्यय विकल्प से आता है। उदा०-नीली "एआणं । अजातिवाचक (पुल्लिगी शब्दों से ) ऐसा क्यों कहा है ? ! कारण यदि पुल्लिगी शब्द जातिवाचक हो, तो ऐसा नहीं होता है । उदा०- ) करिणी... .. "एलया । (यह प्रत्यय) प्राप्त न होने पर, यह विकल्प है। इसलिए गोरी, कुभारी, इत्यादि शब्दों में संस्कृत के समान नित्य ई ( डी ) प्रत्यय लगा हुआ है। १. क्रमसे:- माधन । /कुरुचर । २. क्रमसै:--नील । काल । हसमाण । शूर्पूणख । इदम् । इदम् । एतद् । एतद् । ३. क्रमसे:-करिन् । अज । एड/एल। ४. क्रमसे:---गौर । कुमार।
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