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प्रथमः पादः
उदा.-खुज्जो 'खलिओ। ( कुब्ज शब्द का अर्थ ) फूल न होने पर, ( क का ख होता है ) ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण कुन्ज शब्द का अर्थ उस नामका फूल ऐसा होने पर, क का ग्स नहीं होता है। उदा०-) वंधेउं पसूणं । आर्ष प्राकृत में अन्यत्र भी यानी अन्य कुछ शब्दों में भी ( क का ख होता है। उदा० -- ) कासित.."ख सिकं ।
मरकत मदकले गः फन्दुके त्वादेः ॥१८२॥ अनयोः कस्य गो भवति कन्दुके त्वाद्यस्य कस्य । मरगयं । मयगलो । गेन्दुअं। _____ मरकत और मदकल इन दो शब्दों में क का ग होता है; परन्तु कन्दूक शब्द में मात्र आध क का ग होता है । उदा०-गरगयं''गेन्दु ।
किराते चः ॥ १८३ ॥ किराते कस्य चो भवति । चिलाओ। पुलिन्द एवायं विधिः । कामरूपिणि तु नेष्यते। नमिमो' हरकिरायं ।
किरात शब्द में क का च होता है । उदा.--चिलाओ। ( किरात शब्द का अयं किरात यानी ) पुलिन्द (=एक वन्य जाति ) होने पर ही, ( क का न होता है) यह नियम लागू पड़ता है। परन्तु ( किरात शब्द का अर्थ यदि किरात का ) वेश बारण करने वाला (किरात ऐसा हो, तो इस नियम की प्रवृत्ति ) इष्ट नहीं मानी जाती है। उदा०-नमिमो. किरायं ।
शीकरे भहौ वा ।। १८४ ॥ शीकरे कस्य भहौ वा भवतः । सीभरो सीहरो। पक्षे। सीअरो।
शोकर शब्द में क के भ और ह विकल्प से होते हैं। उदा०-सीभरो, सीहरो। (विकल्प -----) पक्ष में-सीमरो।
चन्द्रिकायां मः ॥ १८५ ॥ चन्दिकाशब्दे कस्य मो भवति । चंदिमा । चान्द्रिका शब्द में क का म होता है। उदा०-चंदिमा।
निकषस्फटिकचिकुरे हः ॥ १८६॥ एषु कस्य हो भवति । निहसो। फलिहो । चिहरो। चिहरशब्दः संस्कृतेपि इति दुर्गः। १. नमामः हरकिरातम् ।
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