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उपाध्याय विनयविजय : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
| वेदना, सम्यग्दृष्टि एवं मिथ्यादृष्टि नारक, परमाधार्मिक देवों द्वारा उत्पन्न वेदना, दूसरी, तीसरी, चौथी, पाँचवीं, छठी एवं सातवीं नरक पृथ्वी, उनमें स्थित नरकावासों एवं उनमें रहने वाले नारकी
जीवों की वेदना आदि का विवेचन। पन्द्रहवाँ | २६५ /२१ मध्यलोक (तिर्यक्लोक) का विवेचन, द्वीप-समूहों की संख्या,
जम्बूद्वीप से नन्दीश्वर द्वीप एवं समुद्र, जम्बूद्वीप का विशेष | विवेचन, सुधर्मा सभा, मणिपीठिका, इन्द्रध्वज, सात क्षेत्र, छह
पर्वतादि का कथना सोलहवाँ | ४५५ |३५ । | भरत क्षेत्र, वैताढ्य पर्वत, हिमवान पर्वत, छह वलय, हैमवन्त क्षेत्र,
महाहिमवान क्षेत्र, महापद्म सरोवर, हरिवर्ष क्षेत्र, निषध पर्वत,
तिंगिच्छ सरोवर। सत्रहवाँ । ४२२ |३५ । | महाविदेह क्षेत्र, सीतोदा नदी, पर्वत शिखर, गन्धमादन पर्वत,
| माल्यवान पर्वत, उत्तरकुरु क्षेत्र, यमक पर्वत, सुदर्शन वृक्ष, सौमनस पर्वत, विद्युत्प्रभ पर्वत, देवकुरु क्षेत्र, इसके सरोवर एवं पर्वतों का
वर्णन। अठारहवाँ २७८ | २३ | मेरुपर्वत (सुमेरू पर्वत) का विस्तृत निरूपण, तीन काण्ड,
नन्दनवन, पाण्ढक वन, ईशान कोण आदि की बावड़ियाँ, महाविदेह
| क्षेत्र में तीर्थकर, वासुदेव, बलदेव आदि का कथन। उन्नीसवाँ २१५ | १६ । | नीलवान पर्वत, रम्यक् क्षेत्र रुक्मी पर्वत, हैरण्यवंत क्षेत्र, ऐरवत
क्षेत्र, इसकी भरत क्षेत्र के साथ समानता, पर्वतों, नदियों आदि की संख्या, जम्बूद्वीप के विजयों की संख्या, तीर्थकर, चक्रवर्ती, बलदेव,
वासुदेव की संख्या। बीसवाँ | ७२१ | ४५ जम्बूद्वीप में स्थित सूर्य चन्द्र की गति, सूर्यमण्डल का क्षेत्र आदि,
चन्द्रमा, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, उत्तरायण, दक्षिणायन, नक्षत्र, चन्द्रमा के
साथ नक्षत्रों का योग। इक्कीसवाँ २८३ | २१... | लवण समुद्र, पाताल कलशों का स्वरूप, बलन्धर देव तथा पर्वतों
का वर्णन, गौतम द्वीप का निरूपण। बाईसवाँ | ३६३ १ । | धातकी खण्ड द्वीप, भरत क्षेत्र का विस्तार, हिमवान पर्वत, गंगा