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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन ३२१८३६५२११५१५२८६६ अंक पैंतीस और बिन्दु ६० है। ३६. ८४ लाख अर्थनिपूर से एक अयुतांग, जिसमें ३६४१७१६०२६६४८८०
८४३६७०३४२६७७७ ६७२८४३२६४ अंक सैंतीस और बिन्दु ६५ है। ३७. ८४ लाख अयुतांग से एक अयुत, जिसमें ३०५६०४३६८२३८४६६६०
८६८३०८७८४६३२ ४५१८८३४१७६ अंक उनचालीस और बिन्दु १०० है। ३८. ८४ लाख अयुत से एक प्रयुतांग, जिसमें २५६६५६६६४५२०३३६
६२३२६३७६३७६३४३२२ ६५८२०७०७८४ अंक इकतालीस और बिन्दु १०५ है। ३६. ८४ लाख प्रयुतांग से एक प्रयुत, जिसमें २१५८४६१४३३६७०८५
५३५५६६७८६७८६४८३३८ ०४८६३६४५८५६ अंक तैयालीस और बिन्दु ११० है। ४०. ८४ लाख प्रयुत से एक नयुतांग, जिसमें १८१३१०७६०४५३५५१८४
६८७६१००६००६४६०३६६११०६१४५१६०४ अंक पैंतालीस और बिन्दु ११५ है। ४१. ८४ लाख नयुतांग से एक नयुत, जिसमें १५२३०१०३८७८०६८३५५३८६५
८२४७५६५४२६७३२७३३१६८१६५६६३६ अंक सैंतालीस और बिन्दु १२० है। ४२. ८४ लाख नयुत से एक चूलिकांग, जिसमें १२७६३२८७२५७६०२६१
८५२७२५७६७६५४६५८४५५४६५८६१२८४६३४६२४ अंक उनचास और बिन्दु
१२५ है। ४३. ८४ लाख चूलिकांग से एक चूलिका, जिसमें १०७४६३६१२६६३८६१६६५
६२८६६४५०८२१६५१०२६१६५२३४७६०६३०८४१६ अंक इक्यावन और बिन्दु
१३० है। ४४. ८४ लाख चूलिका से एक शीर्षप्रहेलिकांग, जिसमें ६०२६६४३४८८६६४४०७६३२८
३३०१८६६०१८६ ८६१६७८७६७२२४३८१६०६६४४ अंक बावन और बिन्दु १३५
४५. ८४ लाख शीर्षप्रहेलिकांग से एक शीर्षप्रहेलिका, जिसमें ७५८२६३२५३०७३०१०२४११
५७६ ७३५६६६७५६६६४०६२१८६६६८४८०८०१८३२६६ अंक चौवन और बिन्दु ___१४० है। 2. असंख्यातकाल: औपमिककाल
___ गणितीय संख्याओं के पश्चात् औपमिक काल गणना प्रारम्भ होती है जिसे असंख्यात काल कहा गया है। यह औपमिक काल पल्योपम और सागरोपम के भेद से दो प्रकार का है- 'अथ