Book Title: Lokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Hemlata Jain
Publisher: L D Institute of Indology

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Page 420
________________ सहायक ग्रन्थ सूची ७८. सांख्यकारिका (माठरवृत्ति एवं प्रबोधिनी संवलिता हिन्दी व्याख्योपेता) - व्याख्याकार पण्डित थानेशचन्द्र उप्रेती, चौखम्भा संस्कृत प्रतिष्ठान, वाराणसी ७६. सिद्धान्त सार संग्रह - नरेन्द्र सेन, जैन संस्कृति श्रमण संस्कार संघ, शोलापुर, १६७२ ८०. सूत्रकृतांग- आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर । ८१. सूत्रकृतांग शीलांकाचार्य टीका - बलूंदा निवासी सेठजी छगनलाल जी मुहता, ब्रिगेड रोड, बैंगलोर, १६६३ ८२. सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र - घासीलाल जी महाराज, जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १६८२ ८३. स्थानांगसूत्र - आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर ८४. स्थानांगसूत्रटीका- घासीलाल जी महाराज, जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १६६५ <. Elements of Jain Geography The Jambudvipasamgrahani of Haribhadrasuri : Frank Van Den Bossche, Motilal Banarsidas Publisher Pvt. Ltd., Delhi, 2007, Ist Edition ६. Haribhadra Jain Cosmology : Old and New Dr. G.R. Jain, Bhartiya Jñānapitha Publication, New Delhi, 1975 कोष १. 391 अभिधानराजेन्द्रकोश (भाग १ से ७ ) - सम्पादक- आचार्य श्री राजेन्द्रसूरि, समस्त जैन श्वेताम्बर श्री संघ, श्री अभिधान राजेन्द्र कार्यालय, रतलाम, मध्यप्रदेश २. आगम शब्द कोश- आचार्य तुलसी, जैन विश्व भारती, लाडनूँ, जून १६८० ३. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग १ से ४ ) - सम्पादक - क्षुल्लक श्री जिनेन्द्रवर्णी, प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ, बी-४५ / ४७, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली पत्र-पत्रिकाएँ 9. जिनवाणी (सितम्बर, २००७) - सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर २. तुलसीप्रज्ञा ( अंक १४१ ) - जैन विश्वभारती, लाडनूँ ३. सागरिका (अंक ३८.३)-संस्कृत - विभाग, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म. प्र. ) ४. अर्हतु वचन (जुलाई-सितम्बर २००८ ) - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर

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