Book Title: Lokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Hemlata Jain
Publisher: L D Institute of Indology
View full book text
________________
382
लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन याश्च दानाद्यंतराय पंचकक्षय संभवाः । दानलाभभोगवीर्योपभोगलब्ध्योऽदभूताः। नवामी क्षायिका भावा भवेयुः सर्ववेदिनां।।-लोकप्रकाश, 36.36-38
लोकप्रकाश, 36.27 १०. लोकप्रकाश, 36.9-10 ११. स्यात्क्षयोपशमे कर्मप्रदेशानुभवात्मकः ।
उदयोऽप्यनुभागं तु नैषां वेदयते मनाक् ।। प्रदेशैरप्युपशमे कर्मणामुदयोऽस्ति न ।
विशेषोऽयमुपशमक्षयोपशमयोः स्मृतः।।-लोकप्रकाश, 36.14-15 १२. लोकप्रकाश, 36.48 १३. सर्वार्थसिद्धि, अध्याय द्वितीय सूत्र 5 की टीका से उद्धृत १४. लोकप्रकाश, 36.39-42 १५. (क) लोकप्रकाश, 36.43
(ख) अनन्तानुबन्धिकषायचतुष्टयस्य मिथ्यात्वसम्यमिथ्यात्वयोश्चोदयक्षयात्सदुपशमाच्च सम्यक्त्वय देशघाति स्पर्द्धकस्योदये तत्त्वार्थश्रद्धानं क्षायोपशमिकं सम्यक्त्वम्। -सर्वार्थसिद्धि, अध्याय द्वितीय,
सूत्र 5 की टीका १६. (क) लोकप्रकाश, 36.44
(ख)अनन्तानुबन्ध्यप्रत्याख्यानप्रत्याख्यानद्वादशकषायोदयक्षयात्सदुपशमाच्च संज्वलनकषायचतष्टयान्यतमदेशघातिर्पर्द्धकोदये नोकषायनवकस्य यथासंभवोदये च निवृतिपरिणाम आत्मनः
क्षायोपशमिकं चारित्रम। सर्वार्थसिद्धि, अध्याय द्वितीय, सूत्र 5 की टीका १७. (क) लोकप्रकाश, 36.45, (ख) सर्वार्थसिद्धि, द्वितीय अध्याय, सूत्र 5 की टीका १५. लोकप्रकाश, 36.16 १६. (क) लोकप्रकाश, 36.49-50 (ख) “गतिकषायलिंगमिथ्यादर्शनाज्ञानासंयतासिद्धलेश्याश्चतुश्चतुस्त्रयेकैकैकैक्षड्भेदाः'
-तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय 2, सूत्र 6 (ग) प्रवचनसारोद्धार, द्वार 221, गाथा 1293 २०. लोकप्रकाश, 36.51 २१. लोकप्रकाश, 36.53 २२. लोकप्रकाश, 36.53 २३. (क) लोकप्रकाश, 36.54-56
(ख) सर्वार्थसिद्धि, अध्याय 2. सूत्र 6 की टीका २४. लोकप्रकाश, 36.57 २५. लोकप्रकाश, 36.58 २६. लोकप्रकाश, 36.59 २७. लोकप्रकाश, 36.60 २८. (क) लोकप्रकाश, 36.70
(ख) जीवभव्याभव्यत्वानि च' -सर्वार्थसिद्धि, अध्याय 2, सूत्र 7 २६. (क) लोकप्रकाश, 36.72
(ख) सर्वार्थसिद्धि, अध्याय 2. सूत्र 7 की टीका ३०. लोकप्रकाश, 36.24. ३१. ज्ञानादिक्षायिकं ह्येषां जीवत्वं पारिणामिकं।
सिद्धानामन्यभावानां हेत्वभावादसंभव।।-लोकप्रकाश, 36.75-91 ३२. लोकप्रकाश, 36.96

Page Navigation
1 ... 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422