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‘श्रीपाल राजानो रास' की रचना करते हुए स्वर्गगमन हुआ।
स्मृति चिह्न एवं स्मारक
उपाध्याय विनयविजय जी के जीवनकाल में उनकी कोई मूर्ति बनी ऐसी कोई जानकारी नहीं मिलती है। वर्तमान में शान्तमूर्ति श्री विजयविज्ञानसूरि के कर कमलों से उपाध्याय विनयविजय की अभिनव मूर्ति 'विनयमंदिर' नामक विनयविजय जी के उपाश्रय में प्रतिष्ठित की गई है।
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रांदेर (सूरत) में 'श्री नेमिनाथ जिनालय' में महावीर स्वामी, गौतम स्वामी, हीरविजयसूरि एवं विजयदेवसूरि के साथ-साथ विनयविजय जी की भी पादुकाएँ रखी हैं। १० ग ७.५ इंच का शिलालेख इसका प्रमाण है जो इसे पुष्ट करता है। शिलालेख पर इस प्रकार लिखा हैसं. 1743 वर्षे पोस वदी 11 शुक्रवास......रायने विजयमुहूत.. श्री रांज्ञारबंदीरस्वास्तव्यलाडुआ श्रीमालीनतियसा (0) धनाभार्याकाहनबाइ तत्पुत्र शा. श्रीपाल तद्भार्या सा (0) काहड जी भार्यापानबाइ तत्पुत्री शामबाइनाम्या.....क्षेत्रे श्रीविजय....... हारनाम........पं. श्रीरूपविजयगणि..........गौतमादिपादुकापंचकं कारितं प्रतिष्ठितं च ।। भ. श्री विजयप्रभसूरिमुपदेशात् उ. श्रीरवीवर्धनगणिभिरिति..... (1) श्री गौतमस्वामिपादुका (2) श्री महावीरपादुका (3) श्रीहीरविजयसूरिपादुका (4) श्रीविजयदेवसूरिपादुका (5) उ. श्री विनयविजयगणिपादुका । श्री शामबाइकारितं पंचमितिथौ प्रतिष्ठितं ....श्री रवीवर्धनगणिभिः श्रेयः । । ”
विनयविजय कृत रचनाओं का परिचयात्मक चार्ट
क्र.
१
२
३
४
५
६
७
नाम
अध्यात्मगीता
आदिजिनविनति
आनन्दलेख
आयम्बिल नी
सज्झाय
भाषा परिमाण रचनावर्ष रचनास्थल विषय
विक्रम
संवत्
गुजराती
अर्हन्नमस्कार स्तोत्र संस्कृत
गुजराती
संस्कृत
गुजराती
इन्दुदूत
संस्कृत
|इरियावहिय सज्झाय गुजराती
२३६ गाथा
३३० श्लोक
५७ गाथा
२५२ पद्य
११ गाथा
लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन
१३१ पद्य
२६ पद्य
१७३१
१६६७
लगभग १७१८ जोधपुर
१७३०/१७३३
/ १७३४
अध्यात्म
परमात्म
स्तवना
अभ्यर्थना
विज्ञप्तिपत्र
तप महत्त्व
संदेशकाव्य
क्रिया
विवरण