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जीव-विवेचन (4)
वायुकाय तथा अग्निकाय में देवों की गति नहीं होती है, अतः इनका भवसंवेध भी नहीं होता
औदारिक से औदारिक शरीर प्राप्त जीवों का भवसंवेध
उत्कृष्ट जन्म आठ
असंख्यात
आठ
असंख्यात
आठ
क्र. | जीव का गमन
जघन्य जन्म | असंज्ञी व संज्ञी तिथंच और संज्ञी मनुष्य यदि असंख्यात आयुष्य वाले मनुष्य और तिर्यंच में उत्पन्न हों तो (१) पृथ्वीकाय जीव यदि पृथ्वीकाय, अपकाय,
तेजस्काय और वायुकाय में जघन्य स्थिति प्राप्त
कर उत्पन्न होता है तो (२) यदि पृथ्वीकाय जीव पृथ्वीकाय, अप्काय, दो
तेजस्काय और वायुकाय में उत्कृष्ट स्थिति प्राप्त |
कर उत्पन्न होता है तो | (१) अप्कायिक जीव यदि पृथ्वीकाय, अप्काय, दो
तेजस्काय और वायुकाय में जघन्य स्थिति पाकर
उत्पन्न हों तो (२) अप्कायिक जीव यदि इन चारों स्थावरों में
उत्कृष्ट स्थिति प्राप्त कर उत्पन्न हों तो (१) तेजस्कायिक जीव यदि पृथ्वीकाय, अप्काय,
तेजस्काय एवं वायुकाय में जघन्य स्थिति प्राप्त
कर उत्पन्न हों तो (२) तेजस्काय जीव यदि इन चारों स्थावरों में उत्कृष्ट | दो
स्थिति प्राप्त कर उत्पन्न हों तो 1(१) वायुकायिक जीव यदि पृथ्वीकाय, अप्काय,
तेजस्काय एवं वायुकाय में जघन्य स्थिति प्राप्त
कर उत्पन्न हों तो (२) वायुकायिक जीव यदि इन चारों स्थावरों में
उत्कृष्ट स्थिति प्राप्त कर उत्पन्न हों तो ) पृथ्वीकाय, अप्काय, अग्निकाय और वायुकाय
जीव यदि वनस्पतिकाय में जघन्य स्थिति में उत्पन्न हों तो
असंख्यात
आठ
असंख्यात
| आठ
असंख्यात
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