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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन
पृथ्वियों के गोत्रनाम हैं, जो रौढ़िक हैं। " रत्नों की प्रचुरता वाली पृथ्वी रत्नप्रभा ", शर्करा की अधिकता वाली शर्कराप्रभा, बालु की प्रचुरता वाली बालुकाप्रभा", पंक की अधिकता वाली पंकप्रभा, धूम की प्रचुरता वाली धूमप्रभा ” और तमस् एवं महातमस् की प्रचुरता वाली तमः प्रभा ” एवं महातमप्रभा" पृथ्वियाँ कही जाती हैं।
ये सातों भूमियाँ घनोदधि, घनवात और तनुवात इन तीन प्रकार के वातवलय से श्लिष्ट होती हैं। प्रत्येक पृथ्वी घनोदधि के आधार से स्थित है, घनोदधि घनवात के आधार से स्थित है, घनवात तनुवात के आधार से स्थित है, तनुवात आकाश के आधार से स्थित है और आकाश अपने आधार से स्थित है।" सातों भूमियों के नीचे लोकाकाश के अधोभाग में एवं दोनों पार्श्वभागों में नीचे से एक रज्जू ऊँचाई पर्यन्त तीनों वातवलय बीस-बीस हजार योजन प्रमाण हैं । "
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अधोलोक की सातों पृथ्वियों की चौड़ाई क्रमशः १८००००, ३२०००, २८०००, २४०००, २००००, १६००० एवं ८००० योजन प्रमाण है। " (द्रष्टव्य पृष्ठ सं. २६५) मध्यलोक का स्वरूप
झालर के समान आकार वाले मध्यलोक का वैदिक साहित्य, पुराण साहित्य, श्रीमद् भागवत्, योगदर्शन, बौद्धदर्शन, जैनदर्शन आदि में विस्तृत निरूपण मिलता है । (द्रष्टव्य पृष्ठ सं. २६६-२६७) ऋग्वेद में ब्रह्माण्ड के आकार, आयु आदि के सम्बन्ध में स्फुट वर्णन है पर जम्बूद्वीप के सम्बन्ध में वहाँ चर्चा नहीं है। यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद, आरण्यक आदि में जम्बूद्वीप का व्यवस्थित विवेचन वैदिक पुराण-वायुपुराण, विष्णुपुराण, ब्रह्माण्डपुराण, गरुड़पुराण, मत्स्यपुराण, मार्कण्डेयपुराण और अग्निपुराण प्रभृति पुराणों में विस्तार से प्राप्त होता है । वायुपुराण में सम्पूर्ण पृथ्वी को जम्बूद्वीप, भद्राश्व, केतुमाल और उत्तरकुरु इन चार द्वीपों में विभक्त किया है। " योगदर्शन व्यास भाष्य में लोक की संख्या सात बताई गई है। प्रथम लोक का नाम भूलोक है। यह भूलोक सात द्वीपों में विभक्त है। भूलोक के मध्य सुमेरु पर्वत है। सुमेरु पर्वत के दक्षिण पूर्व में जम्बू नामक वृक्ष हैं, जिसके कारण लवण समुद्र से वेष्टित इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप पड़ा। इस जम्बूद्वीप में रमणक, हिरण्यमय, उत्तरकुरु, हरिवर्ष, किंपुरुष, भारत, केतुमाल, भद्राश्व और इलावृत्त ये नौ क्षेत्र हैं। श्रीमद्भागवत" में पृथ्वी सात द्वीपों में विभक्त मानी गई है। वे द्वीप हैं - १. कुशद्वीप २. क्रोंचद्वीप ३ . शाकद्वीप ४. जम्बूद्वीप ५.लक्षद्वीप ६.शाल्मलद्वीप ७. पृष्करद्वीप । विष्णुपुराण" में भी जम्बू, प्लक्ष, शाल्मल, कुश, क्रोंच,शाक और पुष्कर ये सात द्वीप बतलाये हैं। इन सात द्वीपों के मध्य में जम्बूद्वीप है। गरुड़पुराण° और अग्निपुराण" में भी सात द्वीपों का उल्लेख है। पुराणों के अनुसार अन्य छह द्वीपों