________________
324
लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन स्पष्ट संकेत किया गया है। समवायांग, स्थानांग और प्रश्नव्याकरण सूत्र ग्रन्थों में कालवाद के रूप में . काल की चर्चा की गई है।
___जैन दार्शनिक ग्रन्थों में तत्त्वार्थराजवार्तिक और कर्मग्रन्थ में काल का निरूक्त्यर्थ किया गया है- "कल्यते क्षिप्यते प्रेर्यते येन क्रियावद्रव्यं स कालः""" अर्थात् जिसके द्वारा क्रियावान द्रव्य प्रेरित किए जाते हैं वह कालद्रव्य है। .
___ “कलनं कालः कल्यते वा परिच्छिद्यते वस्त्वनेनेति कालः कलानां वा समयादिरूपाणां समूहः कालः अर्थात् कलन ही काल है अथवा जिसके द्वारा वस्तु का ज्ञान किया जाता है उसे काल कहते हैं अथवा समय आदि स्वरूप कलाओं के समूह को काल कहा गया है।
काल का सामान्य लक्षण वर्तना ह" क्योंकि काल द्रव्य ही जीव तथा पुद्गल और धर्म, अधर्म एवं आकाश द्रव्य के परिवर्तन में निमित्तकारण बनता है, उनकी पर्यायों का परिणमन करता है। जिस प्रकार कुम्हार के चाक के घूमने में उसके नीचे लगी हुई कील कारण होती है उसी प्रकार पदार्थों के परिणमन होने में कालद्रव्य सहकारी कारण है।" कालद्रव्य से सम्बन्धित कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार
१. स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण रहित, अगुरुलघुगुण सहित और वर्तनालक्षणयुक्त काल है। २. जिसके द्वारा कर्म, भव, काय और आयु की स्थितियाँ कल्पित या संख्यात की जाती हैं अर्थात् कही जाती हैं, उसे काल कहते हैं।" ३. जीव-अजीव आदि की वर्तना, उसके परिणाम, उसकी क्रिया और उसके परत्व-अपरत्व इन चारों को काल शब्द से अभिहित किया जा सकता है।"
कालद्रव्य की अन्य विशेषताएँ भी उसके स्वरूप का निर्धारण करती हैं१. काल अप्रदेशी है अर्थात् एक प्रदेशी है, क्योंकि काल-द्रव्य प्रदेशमात्र परमाणुपुद्गल द्रव्य द्वारा आकाशद्रव्य के एक प्रदेश को ही मंद गति से लांघते हुए वर्तता एवं परिणमन करता है। इससे ज्ञात होता है कि कालद्रव्य परमाणुपुद्गल के एक प्रदेश पर्यन्त परिणमन में ही सहकारी होता है निमित्त होता है, अधिक में नहीं। अतः वह एक प्रदेशी ही है। २. कालद्रव्य निश्चयनय से असंख्यात हैं। असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर रत्नों की राशि के समान कालद्रव्य के एक-एक कालाणु रूप में स्थित है। अतएव कालद्रव्य असंख्यात है, परन्तु व्यवहार नय से अनन्त पर्यायों की वर्तना में निमित्तक होने से अनन्त भी कहा जाता है।" ३. सम्पूर्ण लोकाकाश में कालद्रव्य के कालाणु स्थित हैं, परन्तु स्नेह गुण के अभाव होने से उनका