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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन
310 होते हैं। समश्रेणि में स्थित नवें एवं दसवें तथा ग्यारहवें एवं बारहवें देवलोक में चार-चार प्रतर होते हैं। नौ ग्रैवेयक में नौ प्रतर और पाँच अनुत्तर विमान मे एक प्रतर होता है। इस तरह ऊर्ध्वलोक में कुल ६२ प्रतर होते हैं।
समीक्षण दृश्यमान जगत् अथवा विश्व को लोक कहा जाता है। यह लोक वैदिक साहित्य के अनुसार तीन प्रकार का है और योगदर्शन के अनुसार सात प्रकार का है। जैन आगम-साहित्य के अनुसार धर्म, अधर्म, आकाश, काल, पुद्गल एवं जीव इन षड् द्रव्यों से व्याप्त क्षेत्र को लोक कहते हैं तथा उससे बाहर के आकाश को अलोक कहा जाता है। यह लोक तीन प्रकार का है- अधोलोक, मध्यलोक और ऊर्ध्वलोका क्षेत्र लोक से सम्बन्धित इस अध्याय में निष्कर्ष रूप से कुछ बिन्दु द्रष्टव्य हैं१. लोक का आकार दोनों पैर फैलाकर कमर पर हाथ रखे हुए खड़े पुरुष के समान है। कटि
प्रदेश के नीचे का भाग अधोलोक, ऊपर का भाग ऊर्ध्वलोक है और दोनों का मध्यभाग मध्यलोक है। कुम्भवत् आकृति वाला अधोलोक, खड़े किए मृदंग के समान ऊर्ध्वलोक और झालराकृति वाला मध्यलोक है। लोक के इन त्रिविध भागों के नाम स्थानपरत्व अथवा
शुभ-अशुभ परिणामों की तीव्रता-मन्दता के कारण अभिहित किए जाते हैं। २. सम्पूर्ण लोक की ऊँचाई चौदह रज्जु है। उत्तर-दक्षिण भाग में लोक का आयाम सर्वत्र सात -
रज्जु है। पूर्व-पश्चिम में लोक का विस्तार अधोलोक के तल में सात रज्जु एवं अधोलोक के ऊपरी भाग में एक रज्जु है। पुनः ऊर्ध्वलोक में बढ़ते हुए क्रम से साढ़े दस रज्जु की ऊँचाई पर लोक का विस्तार पाँच रज्जु है और उसके बाद पुनः घटते हुए लोकान्त में विस्तार एक
रज्जु शेष रहता है। ३. 'रज्जु' क्षेत्र मापने की सबसे बड़ी इकाई है। एक रज्जु में असंख्यात योजन होते हैं। ४. लोक में १४ रज्जुओं का विभागीकरण किया गया है। मध्यलोक के अधोभाग से अधोलोक
में प्रथम रज्जु प्रारम्भ होकर महातमः प्रभा नरकभूमि तक छह रज्जु पूर्ण होते हैं और सातवां रज्जु लोक के तल भाग में समाप्त होता है। अधोलोक का अन्तिम एक रज्जु क्षेत्र जिसे कलकल पृथ्वी कहते हैं, वह एकमात्र निगोदी जीवों का स्थान है। ऊर्ध्वलोक में भी
सात रज्जु का विभाग है। मध्यलोक की ऊँचाई भी इसी में सम्मिलित मानी जाती है। ५. लोक के मध्य एक रज्जु चौड़ी, एक रज्जु लम्बी और तेरह रज्जु ऊँचाई वाली त्रसनाली है।
यह त्रस जीवों की सीमा है अर्थात् इससे बाहर त्रसजीव नहीं होते हैं। ६. सम्पूर्ण लोक कुल १५२०६ खंडुक प्रमाण में विभाजित है।